नई दिल्ली। देश में कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए कोरोना टीकाकरण की रफ्तार देश में और तेज हो इसके लिए अमेरिकी कंपनी फाइजर और मॉडर्ना को लेकर सरकार बड़ी छूट देने को राजी हो गई है। इन दोनों वैक्सीन के भारत आने का रास्ता साफ हो गया है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक सरकार इस बात पर राजी हो गई है कि साइड इफेक्ट पर कंपनी को जुर्माना नहीं देना पड़ेगा।
दूसरे देशों ने भी किया ऐसा : बताते हैं कि दूसरे देशों ने भी ऐसा ही नियम अपने यहां बनाया है। अमेरिकी कंपनी की इसी मांग की वजह से टीके को मंजूरी मिलने में देरी हो रही थी। वहीं फाइजर की भारत में किसी भी टीके की मंजूरी के पहले स्थानीय परीक्षण के मामले में सरकार से बातचीत चल रही थी। इससे पहले फाइजर ट्रायल वाली शर्त के बाद इमरजेंसी इस्तेमाल से आवेदन वापस ले लिया था।
पिछले साल से चल रही है बातचीत : कोविड-19 टीका आयात में देरी को लेकर हो रही आलोचना के बीच सरकार की ओर से कहा गया कि वह 2020 के मध्य से ही फाइजर और मॉडेर्ना से टीका आयात पर बातचीत कर रही है। सरकार ने इसके साथ ही बड़ी विदेशी टीका निर्माता कंपनियों को स्थानीय स्तर पर परीक्षण की जरूरत से छूट भी दी है।
बता दें कि भारत में कहर बरपाने वाले कोरोना वायरस के B.1.617 वेरिएंट के खिलाफ अमेरिका की फाइजर और मॉडर्ना वैक्सीन को कारगर पाया गया है। अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एंथनी फाउची ने कहा था कि न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के शोध में यह जानकारी निकलकर सामने आई है कि एमआरएनए तकनीक पर आधारित दोनों ही कोरोना वायरस वैक्सीन म्यूटेशन के खतरे के बाद भी भारत में मिले कोरोना वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन खत्म करने में सक्षम है।
अभी तक किसी भी विदेशी कंपनी को भारत में कोरोना टीका शुरू करने से पहले ब्रिजिंग ट्रायल करना होता था। इसमें सीमित संख्या में लोगों पर टीके की प्रभावकारिता और सुरक्षा को परखा जाता है। डीसीजीआई के अनुसार, भारत में हाल ही में कोविड-19 के मामले बेतहाशा बढ़ने के कारण बढ़ी टीकों की मांग तथा देश की जरूरतों केा पूरा करने के लिए आयातित टीकों की उपलब्धता बढ़ाने की जरूरत को देखते हुए यह छूट दी गई हैं।
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