नई दिल्ली । बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court)ने नाबालिग लड़की (Minor girl)के साथ एक आरोपी की ओर से दोस्तों संग मिलकर यौन उत्पीड़न (sexual harassment)करने को जघन्य अपराध(heinous crime) माना है। साथ ही, कहा कि यह अपराध पूरे होशो-हवास में कई बार किया गया। अदालत ने किशोर न्याय बोर्ड के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें नाबालिग को 2017-2018 के बीच 14 वर्षीय लड़की का यौन शोषण करने के लिए वयस्क के तौर पर मुकदमा चलाने का आदेश हुआ था। इस घटना के वक्त यवतमाल का आरोपी नाबालिग था। जस्टिस जीए सनप की पीठ ने कहा कि आरोपी ने पीड़िता का कई बार यौन उत्पीड़न किया, यह उसकी आपराधिक मानसिक स्थिति को दर्शाता है।
न्यायमूर्ति सनप ने कहा, ‘उसने खुद शोषण करने के साथ ही पीड़िता को दूसरों के हाथों में सौंप दिया। यह जघन्य अपराध है।’ अभियोजन पक्ष की ओर से बताया गया कि पीड़िता 8वीं कक्षा में पढ़ती थी। आरोपी 11वीं का स्टूडेंट था। उसके दोस्तों में कुछ नाबालिग और वयस्क भी शामिल थे। वे पीड़िता को चॉकलेट में नशीला पदार्थ मिलाकर देते रहे और 10 महीने तक उसका यौन शोषण किया। मुख्य आरोपी नाबालिग था और वह पीड़िता के भाई का दोस्त भी था। उसने पहले उसे चॉकलेट और गिफ्ट देकर विश्वास जीता था। ऐसे ही एक दिन वह उसे सुनसान जगह पर ले गया और उसका यौन उत्पीड़न किया।
वीडियो वायरल करने की देते रहे धमकी
पीड़िता के साथ मुख्य आरोपी और उसके दोस्तों ने बार-बार ऐसा ही करना शुरू कर दिया। आरोप है कि इन घटनाओं की वीडियोग्राफी भी की गई। साथ ही, वे पीड़िता को धमकी देते रहे कि अगर उसने मना किया तो उसके पिता की हत्या कर देंगे। दुष्कर्म के वीडियो वायरल करने की धमकी भी दी जाती रही। हालांकि, पीड़िता के पिता को किसी और व्यक्ति ने इस घटना के बारे में बता दिया। इसे लेकर उन्होंने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। इस आधार पर उनकी तुरंत गिरफ्तारी कर ली गई। मगर, किशोर न्याय बोर्ड ने मुख्य आरोपी समेत 4 नाबालिगों को जमानत दे दी। इसे लेकर पीड़िता के पिता ने गुहार लगाई कि आरोपियों पर वयस्कों की तरह मुकदमा चलाया जाए।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved