उज्जैन। कल टिकिट मिलने के बाद भाजपा प्रत्याशी अनिल फिरोजिया का नगर में जुलूस निकला तथा स्वागत हुआ और कोई भाजपा नेता 5 लाख से जीत की बात कह रहा था तो कोई 6 लाख का दावा कर रहा था। जबकि सच्चाई यह है कि उज्जैन में यदि कांग्रेस ने किसी योग्य प्रत्याशी को टिकिट दे दिया तो फिरोजिया को मुश्किल हो सकती है। क्योंकि कहने वाले कह रहे हैं कि कोरोना काल में सांसद अनिल फिरोजिया दिखाई नहीं दिए थे..! अब जब फिर से मतदाताओं के बीच में जाने की तैयारी सांसद कर रहे हैं तो 5 साल के कार्यकाल का हिसाब भी जनता लेगी और ऐसी कोई बात नहीं है कि लोग आँख बंद करके वोट डालेंगे। पब्लिक को सब याद रहता है..सत्ता के नशे में नेता ही जनता जनार्दन को मूर्ख समझने की गलती कर बैठते हैं।
सांसद अनिल फिरोजिया 5 साल से उज्जैन का प्रतिनिधित्व लोकसभा में कर रहे हैं और इस बीच सबसे बड़ी चुनौती कोरोना काल की रही थी, जब उज्जैन में भी हर अस्पताल लाशें उगल रहा था तथा चक्रतीर्थ श्मशान पर लाशें जलाने के लिए कतार लग रही थी..इस भयावह समय में जहाँ कुछ विधायक सक्रिय थे वहीं अनिल फिरोजिया को लेकर मतदाताओं के बीच अच्छी राय नहीं है। शहर के लोगों का कहना है कि पूरे कोरोना काल में जब दूसरी लहर शुरु हुई तो उस अवधि में सांसद अनिल फिरोजिया एक तरह से भूमिगत हो गए थे तथा लोगों के फोन उठाना बंद कर दिए थे..साथ ही किसी की कोई मदद नहीं की। उस समय के तत्कालीन कलेक्टर आशीष सिंह ने सक्रियता से पूरी स्थिति को संभाला था लेकिन अफसोस की बात यह रही कि कुछ जिम्मेदार नेताओं, जनप्रतिनिधियों ने स्वयं की रक्षा करना प्रथम कर्तव्य समझा। कल फिरोजिया टिकट मिलने के बाद उज्जैन आए तो ढोल बजने लगे और हारों के ढेर लग गए थे तथा यह माहौल बनाया जा रहा है कि उनकी जीत एक तरफा रहेगी। रैली में शामिल भाजपा के नेताओं ने तो कल अतिआत्मविश्वास दिखाने में सारी सीमाएँ ही लांघ दी। एक पार्टी पदाधिकारी कह रहे थे कि फिरोजिया 5 लाख वोटों से जीतेंगे तो एक अन्य इससे अधिक का भी दावा कर रहे थे, जबकि न तो इस संसदीय क्षेत्र में भाजपा के पक्ष में लहर है और 10 प्रतिशत से अधिक वोटर सीटिंग जीते हुए नेता से नाराज रहते ही हैं जिसे कि एंटी इकंबेसी लहर कहा जाता है। ऐसे में यदि भाजपा के नेताओं ने मुगालते पाले तो कहीं उलटे परिणाम सामने न आ जाए। यह बात माननी होगी कि कांग्रेस का संगठन कमजोर हैं लेकिन यदि महापौर का चुनाव मात्र कुछ वोट से हारे विधायक महेश परमार को कांग्रेस टिकट देती है तो यह पक्का है कि वह अनिल फिरोजिया को कड़ी टक्कर देंगे। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि उज्जैन जिले की सातों विधानसभा सीट के अलावा आलोट क्षेत्र में भी कांग्रेस का जनाधार है और वोटों का अंतर भाजपा कांग्रेस बीच बहुत अधिक नहीं हैं। परिणाम इस आधार पर तय होगा कि कांग्रेस का प्रत्याशी कौन होता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि उज्जैन में किसी दमदार प्रत्याशी को खड़ा करने की तैयारी चल रही है। उल्लेखनीय है कि महेश परमार ने विधायक रहते हुए महापौर का चुनाव लड़ा था और वे मामा शिवराजजी की कृपा से कुछ 100 वोटों से चुनाव हार गए थे। बाद में फिर तराना से जीत गए। ऐसे में कांग्रेस के पास एक जीताऊ चेहरा महेश परमार के रूप में मौजूद है और यदि उज्जैन में सही समय पर कांग्रेस ने घोषणा कर दी तो सांसद फिरोजिया के लिए मुश्किल हो सकती है..फिर कोरोना काल में गायब होने के आरोप भी विरोधी लगा ही रहे हैं..?
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