भोपाल। उपचुनाव में बंपर जीत के बाद प्रदेश की सत्ता पर और मजबूती से डट गयी भाजपा को अब विधानसभा अध्यक्ष चुनना है। कोरोना के कारण फिलहाल प्रोटेम स्पीकर ही सदन की कार्यवाही कराते हैं। लेकिन अब नया अध्यक्ष चुना जाना है। पद एक है और दावेदार कई। भाजपा के अलावा अब कांग्रेस भी इस पद के लिए अपनी पसंद बता रही है। भाजपा के कुछ नेताओं ने विंध्य से विधानसभा अध्यक्ष बनाने की मांग की है, वहीं कांग्रेस का कहना है महाकौशल को प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। मध्य प्रदेश की सियासत में एक बार फिर दावेदारी शुरू हो गई है। प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के बाद भाजपा जिस ताकत के साथ सत्ता में कायम रही, वही उसके लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। अब अंचल विशेष के संतुलन को साधना उसके लिए चुनौती है।
बिसाहूलाल और विश्नोई साथ
पूर्व कांग्रेसी और अब भाजपा विधायक मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने बंपर वोटों से जीतने के बाद कहा है कि विंध्य से ही विधानसभा अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। उनकी इस मांग का जबलपुर के दिग्गज नेता और पार्टी के असंतुष्ट विधायक अजय विश्नोई ने हवा दे दी है। उनका कहना है अब समय आ गया है जब भाजपा तमाम अंचलों में संतुलन बनाएं क्योंकि यह संतुलन विधानसभा चुनाव 2023 में भाजपा के काम आएगा। विश्नोई ने कहा विंध्य से विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने की मांग मैंने 3 महीने पहले भी उठाई थी।
दौड़ में विश्नोई शामिल
अजय विश्नोई का नाम भी विधानसभा अध्यक्ष की दौड़ में चल रहा है। इस पर विश्नोई का कहना है मैं खुद को इतने बड़े पद के लायक नहीं समझता। और मैं केवल 60 दिन काम करना नहीं चाहता, बल्कि मैं साल के 365 दिन काम करने वालों में से हूं।
कांग्रेस ने कहा महाकौशल सूना पड़ा
एक ओर भाजपा जहां विंध्य से विधानसभा अध्यक्ष की मांग कर रही है। वहीं कांग्रेस ने महाकौशल का कद बढ़ाने की मांग उठाई है। कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना का कहना है कमलनाथ सरकार ने जिस तरह से महाकौशल का कद बढ़ाया था उसी तरह भाजपा को भी इस ओर कदम आगे बढ़ाना चाहिए। वैसे भाजपा ने कभी भी इस अंचल पर विशेष गौर नहीं किया है। बीती सरकार में अंचल का कद बढ़ा जहां मुख्यमंत्री के साथ साथ तीन कैबिनेट मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष महाकौशल से आते थे। लेकिन इस दफा यह अंचल सूना पड़ा है।
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