नई दिल्ली (New Delhi)। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सभागार में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी (Justice Krishna Murari) के लिए रिटायरमेंट डिनर (Retirement Dinner) का आयोजन किया गया था। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) का शायराना अंदाज देखने को मिला। उन्होंने कवि बशीर बद्र की ये पंक्तियां- “मुसाफिर हैं हम भी, मुसाफिर हो तुम भी, किसी मोड़ पर फिर मुलाकात होगी” सुनाईं। शुक्रवार को रिटायर हुए न्यायाधीश के बारे में बात करते हुए चीफ जस्टिस ने उनकी शांत छवि का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वह कभी भी अपना आपा नहीं खोते हैं।
सीजेआई ने यह भी बताया कि जब अदालत में कागज का उपयोग बंद हो गया तो जस्टिस मुरारी को शुरुआत में किस तरह संघर्ष करना पड़ा। पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सदस्य के तौर पर शिवसेना और दिल्ली सरकार के अधिकारों से जुड़े मामलों की सुनवाई के दौरान जस्टिस मुरारी को लैपटॉप और आई-पैड का इस्तेमाल करने में झिझक हुई। न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा ने तब उनकी मदद की थी, जिसके बाद वह इन उपकरणों के साथ सहज हो गए। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने यह बात कही। चीफ जस्टिस ने अपने भाषण का अंत एक और शायरी के साथ की। उन्होंने कहा, “आपके साथ कुछ लम्हे काई यादें बतौर इनाम मिले, एक सफर पर निकले और तजुर्बे तमाम मिले।”
न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी ने कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि डीवाई चंद्रचूड़ दो बार मुख्य न्यायाधीश रहे। एक बार इलाहाबाद में और फिर सुप्रीम कोर्ट में। उन्होंने अपने सहयोगियों के प्रति उदारता के लिए सीजेआई को धन्यवाद दिया। न्यायमूर्ति मुरारी ने खुद ही इस बात का खुलासा किया कि वह कोर्ट के क्लर्कों से आई-पैड चलाने के लिए मदद मांगते रहे। उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी।
उन्होंने कहा, “मैं टेक्नोलॉजी के साथ जुड़ने का अवसर देने के लिए सीजेआई को धन्यवाद देता हूं। अब इसके बिना काम करना मुश्किल है।”
साथ ही उन्होंने यह भी कहा, “यह अदालत न केवल बहुसांस्कृतिक लोकाचार का संरक्षक है, यह अदालत विविधता का भी प्रतीक है। इस अदालत में कई भौगोलिक क्षेत्रों के लोग शामिल हैं, जो सभी धर्मों, जातियों, पंथों और राष्ट्र की बहुलता और सच्चे सार को दर्शाते हैं।” जस्टिस मुरारी ने भी एक दोहा सुनाया – ”कदम उठे भी नहीं और सफर तमाम हुआ, गजब है राह का इतना भी मुख्तसर होना।’ उन्होंने भी अपने भाषण का अंत एक शायरी से की। उन्होंने कहा, “दर-ओ-दीवार पे हसरत से नज़र करते हैं, ख़ुश रहो अहल-ए-वतन हम तो सफ़र करते हैं।”
इस समारोह में सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायाधीशों के साथ-साथ भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अन्य उपस्थित थे।
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