नई दिल्ली (New Delhi) । सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud ) ने शनिवार (6 जनवरी) को गुजरात (Gujarat) के राजकोट में नए जिला न्यायालय भवन (District Court Building) के उद्घाटन (Inauguration) के अवसर पर गुजरातियों के संबंध में एक मजेदार कहावत सुनाई.
एक सभा को संबोधित करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ”आज जब हम इस शानदार नए जिला न्यायालय भवन के साथ एक नए युग के मुहाने पर खड़े हैं, राजकोट जिला राज्य का चौथा सबसे बड़ा जिला है… मुझे एक मजेदार कहावत याद आती है जो गुजरात की भावना को दर्शाती है.”
क्या कहा सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने?
सीजेआई ने कहा, ”वे कहते हैं कि जबकि बाकी दुनिया नई तकनीकियों के पीछे दौड़ती है, एक गुजराती सबसे सरल चीजों को भी नया करने का एक तरीका ढूंढ लेगा, उदाहरण के लिए चाय ब्रेक को एक व्यापार रणनीति बैठक में बदलना सर्वोत्कृष्ट गुजराती ह्यूमर है…”
सीजेआई ने तकनीक के उपयोग पर दिया जोर
इसके अलावा सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका में तकनीक का अनुकूलन न केवल आधुनिकीकरण से संबंधित है, बल्कि न्याय तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाने की दिशा में एक रणनीतिक कदम भी है. उन्होंने प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए वकीलों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया.
सीजेआई कहा कि इन प्रगतियों का लाभ उठाने से अंतर पाटने और दक्षता बढ़ाने में मदद मिलेगी और यह सुनिश्चित होगा कि न्याय प्रदान करना भौगोलिक और तकनीकी बाधाओं के कारण बाधित न हो.
सीजेआई ने टेक्स्ट-टू-स्पीच कॉल-आउट सिस्टम का किया उद्घाटन
उन्होंने कार्यक्रम स्थल से एआई-आधारित ‘टेक्स्ट-टू-स्पीच कॉल-आउट सिस्टम’ का भी उद्घाटन किया. जिला अदालतों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए सीजेआई ने कहा, ‘‘ये अदालतें न्याय का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं और एक ऐसे समाज की कल्पना करने में हमारे संविधान के आदर्शों की आधारशिला हैं जहां प्रत्येक नागरिक को न्याय का अधिकार सुनिश्चित है.’’
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने अदालत परिसर में नवीनतम ऑडियो-वीडियो उपकरणों और प्रणालियों से सुसज्जित एक सम्मेलन कक्ष और एक प्रशिक्षण कक्ष के बारे में कहा, ‘‘यह सुप्रीम कोर्ट के कक्षों में लागू हाइब्रिड और ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस सिस्टम और बदलते समय के अनुरूप है और त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकियों का लाभ उठा रहा है.’’
उन्होंने प्रधान जिला न्यायाधीश से यह सुनिश्चित करने की भी अपील की कि वकीलों को प्रौद्योगिकी के उपयोग में प्रशिक्षित किया जाए और उन्हें उस पहलू में न्यायाधीशों से अलग नहीं किया जाना चाहिए.
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