नई दिल्ली (New Delhi)। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 18 मार्च को चुनावी बांड (electoral bonds) के यूनिक नंबर सार्वजनिक करने पर रोक लगाने की मांग को लेकर शीर्ष उद्योग निकायों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. शीर्ष अदालत ने एक अलग आदेश में भारतीय स्टेट बैंक (state Bank of India) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक को 21 मार्च तक चुनावी बांड के अल्फा न्यूमेरिक कोड (Alpha Numeric Code) इलेक्शन कमीशन (Election Commission) के साथ शेयर करने के लिए कहा था. उद्योग निकायों फिक्की (FICCI) और एसोचैम (ASSOCHAM) ने अपनी याचिका में कहा था कि इलेक्टोरल बांड के यूनिक नंबर्स जारी होने से दानदाताओं को विभिन्न राजनीतिक दलों से जोड़कर देखा जाएगा।
उद्योग निकायों की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी शीर्ष अदालत में पेश हुए. उन्होंने फिक्की और एसोचैम की याचिका पर सुनवाई की मांग की. इस पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘जब मामले की सुनवाई हो रही थी तो पूरी दुनिया को पता था. फैसला सुनाए जाने के बाद आप यहां आए हैं, अभी हम आपकी बात नहीं सुन सकते. रिकॉर्ड पर कोई आवेदन नहीं है. आपका आवेदन सूचीबद्ध नहीं है. सिर्फ इसलिए कि आप एक बड़े क्लाइंट के लिए पेश हो रहे हैं, हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. आपको मेरी अदालत में नियमों का पालन करना होगा. हम आपके लिए कोई अपवाद नहीं बना सकते’।
सीजेआई ने आगे कहा, ‘यह तरीका नहीं है. यदि मैं मुख्य न्यायाधीश के रूप में वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी के लिए ऐसा करता हूं (याचिका सूचीबद्ध हुए बिना सुनवाई), तो मैं अन्य जूनियर वकीलों को कैसे फेस करूंगा, जिन्हें मैं मामलों का मौखिक उल्लेख करने से रोकता हूं और सूचीबद्ध करने के लिए कहता हूं. हम इस स्तर पर आपकी बात नहीं सुन सकते. हमें प्रक्रिया का पालन करना होगा. मैंने अपनी बात स्पष्ट कर दी है’. शीर्ष अदालत ने चुनावी बांड के जारी होने की पहली तारीख यानी 1 मार्च, 2018 से विवरण का खुलासा करने की मांग करने वाले एक अन्य आवेदन पर भी विचार करने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी, 2024 को सुनाए गए अपने फैसले में चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था. शीर्ष अदालत ने कहा था कि राजनीतिक दलों की फंडिंग के संबंध में दानदाताओं की जानकारी का खुलासा न करना नागरिकों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को चुनावी बांड से जुड़ी सारी डिटेल 12 मार्च तक भारतीय निर्वाचन आयोग के साथ साझा करने का निर्देश दिया था. साथ ही चुनाव आयोग को 15 मार्च तक चुनावी बांड से जुड़े विवरण अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने के लिए कहा था, जो उसने समय सीमा से एक दिन पहले कर दिया।
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