सतीश बतरा, संत नगर
उपनगर के सिविल अस्पताल के विस्तार हेतु प्रदेश सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है यहां पर 200 बिस्तर वाला नया वार्ड भी बन रहा है लेकिन इलाज करने वाले डॉक्टरों की संख्या निरंतर कम होती जा रही है ओपीडी में रोजाना 800 से 1000 पेशेंट्स आते हैं। लेकिन इनका इलाज करने मात्र 2 डॉक्टर मौजूद रहते हैं। यहां पर मात्र 2 स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं प्रसूति तथा अन्य स्त्री रोगों के लिए करीब 200 महिलाएं इलाज हेतु आती हैं जिनमें से आधे से अधिक महिला पेशेंट बगैर इलाज के ही खाली पर्चा लेकर लौट जाती है। इतने बड़े अस्पताल में एक भी एमडी डॉक्टर नहीं है।
रात्रि में प्रसूति वार्ड में कोई महिला डॉक्टर मौजूद नहीं रहती है प्रसूति कार्य भी नर्स तथा वार्ड आया के भरोसे ही होता है थोड़ा सा भी केस सीरियस होता है तो नर्स उन्हें सुल्तानिया अस्पताल तथा अन्य प्राइवेट अस्पताल के लिए रेफर कर देती है। ऐसी स्थिति में सबसे ज्यादा परेशानी उन गरीब असहाय लोगों को होती है जिनके पास न तो प्राइवेट अस्पताल में ले जाने के लिए एंबुलेंस होती है और नहीं वहां इलाज में खर्च करने के लिए धन होता है। अस्पताल में एक्सरे सोनोग्राफी डेंगू जांच ब्लड जांच आदि की सभी मशीनें उपकरण मौजूद हैं लेकिन इलाज करने वाले डॉक्टर नहीं है। इस अस्पताल में ओपीडी तथा भर्ती मरीजों की संख्या को दृष्टिगत रखते हुए कम से कम दो दर्जन डॉक्टरों का स्टाफ तथा तीन दर्जन मेडिकल स्टाफ होना चाहिए।
डॉक्टरों की कमी से मरीज परेशान हैं
सिविल अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है यहां पर एक भी एमडी डॉक्टर नहीं है चाइल्ड स्पेशलिस्ट मैं अकेली डॉक्टर हूं। मुझे अब बच्चों के इलाज के साथ अस्पताल अधीक्षक का कार्य भी देखना पड़ रहा है। सिविल अस्पताल में कम से कम आठ फीमेल तथा 12 मेल डॉक्टर और 25 नर्स स्टाफ होना चाहिए। इस अस्पताल में बैरागढ़ के आसपास ग्रामीण अंचलों से भी इलाज करवाने पेशेंट आते हैं।
डॉ. नीलम शुक्ला अधीक्षक, सिविल अस्पताल बैरागढ़
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