मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने साफ कह दिया है कि वह किसी भी हालत में नागरिक उड्डयन सुरक्षा मानदंडों में ढील सहन नहीं कर सकती। यहां तक कि सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा एक परियोजना के लिए भी ढील नहीं दी जा सकती है। इसके साथ ही, अदालत ने हवाई अड्डे के निकट 40 मंजिला इमारत के निर्माण की अनुमति देने से इनकार करने के केंद्रीय मंत्रालय के आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र आवास और क्षेत्र विकास प्राधिकरण की याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति कमल खाता की खंडपीठ ने 10 जनवरी को एमएचएडीए द्वारा दिसंबर 2021 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अपीलीय प्राधिकरण द्वारा लिए गए एक निर्णय के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास प्रस्तावित आवासीय भवन के लिए ऊंचाई प्रतिबंध निर्धारित किया गया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एमएचएडीए निश्चित रूप से ऊंची इमारत के कानूनी अधिकार का दावा नहीं कर सकता है।
पीठ ने कहा, ‘वह यह तर्क नहीं दे सकती कि नागरिक उड्डयन सुरक्षा मानक उस पर लागू नहीं होने चाहिए। यह तो बिल्कुल नहीं कह सकती की ये महाराष्ट्र आवास और क्षेत्र विकास प्राधिकरण परियोजना है, इसमें तय ऊंचाई से अधिक होने से नागरिक उड्डयन को कोई खतरा नहीं होगा।’
याचिका के अनुसार, एमएचएडीए ने 560 घरों के मध्यम या निम्न आय वाले आवास के लिए 115.54 मीटर (लगभग 40 मंजिल) की ऊंचाई की इमारत का प्रस्ताव दिया, जबकि पहले से तय ऊंचाई 58.48 मीटर है। एमएचएडीए ने प्राधिकरण के समक्ष अपील दायर की, जिसके बाद 96.68 मीटर की अनुमति दे दी गई।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि मनमानी का कोई सवाल ही नहीं था। वास्तव में, अपीलीय प्राधिकरण का आदेश महाराष्ट्र आवास और क्षेत्र विकास प्राधिकरण के पक्ष में था। अदालत ने कहा कि अगर एमएचएडीए को यह छूट दी गई तो हर दूसरे प्राधिकरण को यही छूट देनी पड़ेगी। याचिका खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि इस तरह की याचिका कभी दायर नहीं की जानी चाहिए, खासकर एक जिम्मेदार सार्वजनिक प्राधिकार द्वारा।
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