उज्जैन। इसे नगर निगम की कथित लाचारी कहें या समय का फेर…कि नगर निगम बस संचालन हेतु कम्पनी बनाने के बाद भी अपनी बसों से लाभ नहीं कमा पा रही है। डिपो में खड़ी अपनी बसों को कंडम होने से बचाने के लिए एक बार फिर नगर निगम ने अपनी 50 बसों का टेंडर स्वीकृत कर दिया है। यह टेंडर कुछ शर्तो के साथ दिया गया है लेकिन इससे नगर निगम को कोई लाभ तो नहीं होगा, उसकी बसों की लाइफ जरूर समाप्त होती चली जाएगी।
उज्जैन सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेस लिमिटेड (यूसीटीएसएल) नाम से नगर निगम ने सिटी बसों को चलाने के लिए कम्पनी बनाई थी। इस कम्पनी का काम बसों को चलाना और कहीं न कहीं नगर निगम को इससे लाभ पहुंचाना था। इन बसों की आज की स्थिति इतनी दयनीय है कि इन्हे नगर निगम स्वयं न चलाते हुए मैंटेनेंस पर देकर, केवल नाम मात्र की राशि लेकर भी स्वयं को सतुष्ट समझ रहा है।
ताजा घटनाक्रम एक मात्र टेंडर को स्वीकृत करने का है। चूंकि तीसरी बार भी एक ही टेंडर आया, इसलिए इसे स्वीकृत कर दिया गया। औपचारिक स्वीकृति आदि की कार्रवाई कम्पनी बोर्ड की दो दिन में होने वाली बैठक में दे दी जाएगी। निगम सूत्रों का दावा है कि जो टेंडर आया है,वह पुराने ठेकेदार का ही है,जिन्होने अनेक समस्याएं बताकर बसों का संचालन बंद कर दिया था।
इस संबंध में सिटी बस का संचालन देख रहे निगम अधिकारी पवन कुमार का कहना है कि बसों को डिपो में खड़े रखकर कंडम होने से बचाने के लिए शर्तो के आधार पर ठेकेदार का टेंडर स्वीकृत हुआ है। इसे कम्पनी बोर्ड की बैठक में औपचारिक रूप से स्वीकृत किया जाएगा। उन्होने बताया कि इससे बसों का संचालन और मैंटेनेंस तो होगा। निगम ने आय की अपेक्षा लोगों की सुविधाओं का ध्यान रखा है। अन्य शहरों में बस संचालक को उल्टे नगरीय निकाय भुगतान करते हैं। हम कुछ तो ले रहे हैं उनसे।
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