इंदौर, विकाससिंह राठौर। इंदौर की लाइफ लाइन और शान की सवारी कही जाने वाली सिटी बसों का संचालन कभी भी बंद हो सकता है। ऐसा इन बसों का संचालन करने वाली कंपनी ने एआईसीटीएसएल प्रबंधन से 4 करोड़ से ज्यादा का भुगतान ना होने के चलते कहा है। कंपनी ने साफ कहा है कि अगर पैसे नहीं मिलेंगे तो बसें नहीं चला पाएंगे।
शहर में 300 से ज्यादा सिटी बसों का संचालन हो रहा है। इनमें से 150 सीएनजी सिटी बसों का संचालन जबलपुर की मां एसोसिएट्स एंड ट्रांसपोर्ट प्रा.लि. कंपनी कर रही है, लेकिन कंपनी को लंबे समय से एआईसीटीएसएल प्रबंधन की ओर से भुगतान नहीं किया गया है। यह राशि 4 करोड़ से ज्यादा है। इससे परेशान कंपनी ने प्रबंधन को कहा है कि वे जल्द भुगतान करें, अन्यथा कंपनी बसों का संचालन नहीं कर पाएगी। भुगतान के अभाव में कंपनी अक्सर 150 में से कई बसों का संचालन भी बंद कर रखा है।
दबाव में किया 1 करोड़ का भुगतान
एआईसीटीएसएल पर कंपनी का 5 करोड़ से ज्यादा बकाया था। इस पर कंपनी ने माह की शुरुआत में ही प्रबंधन को कह दिया था कि अगर भुगतान नहीं होता है तो बसों का संचालन बंद कर दिया जाएगा। इस पर प्रबंधन ने हाल ही में कंपनी को 1 करोड़ का भुगतान किया है और अब भी 4 करोड़ रुपए बकाया है, जो रोजाना बसों के संचालन के साथ बढ़ रहा है।
सरकार की सहायता के भरोसेे प्रबंधन
ऑपरेटर्स को भुगतान करने के लिए प्रबंधन के पास आय का कोई खास जरिया नहीं है। इसके कारण प्रबंधन राज्य और केंद्र की सहायता के भरोसे रहता है। यहां से किसी योजना में राशि मिलने पर यह भुगतान किया जाता है। नगर निगम से भी पास की सब्सिडी की राशि मिलने पर भी इसका उपयोग भुगतान में होता है।
सभी ऑपरेटर्स का भुगतान बकाया
मां एसोसिएट्स के अलावा इंदौर में चार्टर्ड बस, नफीस बस, प्रसन्ना पर्पल सहित और भी कंपनियां सिटी, आई और इलेक्ट्रिक बसों का संचालन करती हैं और लगभग सभी बस संचालकों का प्रबंधन पर बकाया है। इसके कारण सभी संचालक परेशान हैं और लगातार प्रबंधन से राशि की मांग कर रहे हैं।
30 नई बसों का रजिस्ट्रेशन तक एक साल से नहीं हुआ
कंपनी को शहर में 180 सिटी बसें संचालित करने का कांट्रेक्ट मिला था। योजना के तहत ये बसें कंपनी को ही लाकर उनका संचालन करना है। कंपनी ने फरवरी 2021 से 2022 के बीच सभी 180 सीएनजी सिटी बसें शहर में ले आईं और बसों के आने पर 150 बसों संचालन भी शुरू कर दिया, लेकिन आखिरी में आई 30 बसों का संचालन कंपनी ने अब तक शुरू नहीं किया है, क्योंकि कंपनी को तय शर्तों के अनुरूप भुगतान नहीं मिल पाया है। कंपनी ने इन बसों के रजिस्ट्रेशन, टैक्स और बीमा के पैसे के लिए प्रबंधन से मांग की है, लेकिन नहीं मिल पाने के कारण करीब एक साल से बसें स्टार चौराहा स्थित डिपो में खड़ी धूल खा रही हैं। दूसरी ओर शहर के लोगों को बसों की सुविधा नहीं मिल पा रही है। कंपनी का कहना है कि भुगतान मिलने पर 1 नवंबर से बसों का संचालन शुरू कर दिया जाएगा।
सात रुपए प्रति किलोमीटर का भुगतान नहीं कर पा रहा प्रबंधन बकाया पहुंचा 4 करोड़ पर
कंपनी की ओर से बताया गया कि उन्हें ग्रास कॉस्ट मॉडल पर बसों का संचालन करने का ठेका मिला था, जिसके तहत उन्हें बसें लाकर संचालन करने से लेकर मेंटेनेंस जैसे सभी काम करने थे। इसके बदले एआईसीटीएसएल की ओर से उन्हें 40 रुपए प्रति किलोमीटर मिलना था। इसमें से कंपनी को बसों पर विज्ञापन और टिकट का पैसा लेने वाली ‘चलो’ कंपनी 33 रुपए प्रति किलोमीटर भुगतान करती है। यह राशि तो हर 10 से 15 दिन में कंपनी को मिल जाती है, लेकिन शेष 7 रुपए प्रति किलोमीटर की राशि प्रबंधन छह माह से ज्यादा से नहीं चुका पाया है। ये बसें हर माह 7 लाख किलोमीटर से ज्यादा चलती हैं। इस तरह हर माह प्रबंधन से करीब 50 लाख का बिल लेना होता है, जो लंबे समय से बकाया होने के कारण कुल बकाया 4 करोड़ से ज्यादा हो चुका है।
भुगतान मिलने पर किया जा रहा है
बस ऑपरेटर्स का जो बकाया भुगतान है, वह हमेंं शासन से भुगतान मिलने पर किया जा रहा है। मुझसे किसी ऑपरेटर ने ऐसी शिकायत नहीं की है। कई शासकीय संस्थानों पर भारी बकाया है, लेकिन सेवाएं जारी हैं। हम पर तो उसकी अपेक्षा कुछ भी नहीं है। बसों का संचालन बाधित नहीं होने दिया जाएगा।
– मनोज पाठक, सीईओ, एआईसीटीएसएल
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