– डॉ. अरविंद राजवंशी
कोरोना महामारी के दौर में सभी ने संयम और समझदारी का परिचय दिया है। उसका नतीजा अब सामने आ रहा है। कोरोना के दैनिक मामले बेहद कम आ रहे हैं। कोरोना टीकाकरण में देश विश्व के सामने एक मॉडल प्रस्तुत कर रहा है। सौ करोड़ के जादुई आंकड़े के पार पहुंचना आसान नहीं था। भारत ने यह कर दिखाया है। इसके लिए सरकार की तैयारी, स्वास्थ्य सेवाओं के लोगों की कर्तव्यपरायणता और आम जनता की भागीदारी अहम रही है। कोरोना महामारी खत्म नहीं हुई है। इसलिए हमें खुद समझना है और दूसरे लोगों को भी समझाना है कि सरकार और व्यवस्था की एक सीमा होती है, इसलिए देश और समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्तव्य को समझना होगा। अभी तक सभी ने बेहतर काम किया है।
अभी त्योहार का मौसम चल रहा हैं। कुछ महीने और पर्व-त्योहार चलेंगे। सार्वजनिक आयोजन भी हो रहे हैं। लोगों की यात्राएं भी हो रही हैं। जीवन के लिए सभी चीजें जरूरी हैं लेकिन सबसे अहम है अपने जीवन की रक्षा। इसके लिए जरूरी है कि कोरोना के दौरान हम स्वास्थ्य विशेषज्ञों के बताए बातों का पालन करें। जब भी घर से निकलें, मास्क पहनें। इसे भूलना नहीं है। आपने कोरोना टीका लगा लिया है, इसका यह मतलब नहीं होता कि आप मास्क नहीं पहनेंगे। अभी मास्क पहनना अनिवार्य है। जो लोग किसी कारण से अब तक टीका नहीं लगवा पाएं हैं, उनको टीकाकरण के लिए प्रेरित करें।
कोविड से बचने के लिए जल्द से जल्द टीकाकरण और कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करना ही बेहतर हथियार है। कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करने के मामले में लोग अधिक गंभीर नहीं हैं, यह बेहद दुखद है कि ग्रामीण इलाकों में आप आज भी ऐसी स्थिति देख पाएगें, जहां लोग कोविड अनुरूप आदतों को नजरअंदाज करते हैं। उन्हें लगता है कि वह कोविड से संक्रमित नहीं होगें और कोरोना वायरस उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। लोगों के इस व्यवहार को समझना होगा। कोविड की अगली किसी भी लहर से हम तब ही बच सकते हैं जबकि व्यापक स्तर पर कोविड का वैक्सीन लगवाया जाए और वैक्सीन लगने के बाद भी कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन किया जाए।
यदि हम सभी सख्ती से कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करें तो निश्चित रूप से महामारी की किसी भी लहर को रोका जा सकता है। इसके लिए लोगों को कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करना होगा। सही तरीके से मास्क पहनें, हाथों को लगातार साफ करते रहें या सैनेटाइज करते रहें, भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें, सामाजिक दूरी का पालन करें। ये सभी कोविड से बचने के लिए प्राथमिक स्तर के प्रयास हैं।
हम वर्षों से त्योहार एक दूसरे के साथ गले मिलकर, बधाइयां देकर और मेलजोल करते हुए मनाते आए हैं लेकिन इस बार के त्योहार बिल्कुल अलग कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करते हुए मनाएं। यह हमारे अंदर एक जिम्मेदारी का एहसास भी पैदा करेगा कि हम समाज को सुरक्षित रखते हुए अपनी परंपराओं को निभा रहे हैं। घर के बच्चों को इस बारें में जरूर बताएं। बच्चे लंबे समय से न तो स्कूल गए हैं और न ही दोस्तों के साथ मिले हैं, बच्चों के लिए त्योहार का मतलब खूब सारी मस्ती और दोस्तों के साथ मिलना जुलना होता है। बड़ों का यह फर्ज है कि वह बच्चों को समझाएं कि कोविड अभी गया नहीं है। हमें त्योहार मानते हुए भी कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करते रहना है।
(लेखक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, रायबरेली के निदेशक हैं)
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