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    Disclosure -2050 में इंदौर, दिल्ली व मुंबई जैसे शहर 2050 में पानी के लिए तरसेंगे

  • November 05, 2020

     


    नई दिल्ली। एक ओर जल शक्ति मंत्रालय नल से हर घर जल पहुंचाने की कवायद में जुटा है, वहीं दूसरी ओर विश्व वनजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) की ताजा रिपोर्ट में सामने आया है कि आने वाले सालों में भारत गंभीर जल सकंट से दो-चार होगा। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत के 30 शहरों में 2050 तक पानी का बड़ा सकट होगा, इसमें दिल्ली, कानपुर, जयपुर, इंदौर, मुंबई, चंडीगढ़ और लखनऊ जैसे शहर हैं।

    डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के जोखिम फिल्टर विश्लेषण के अनुसार आर्थिक गतिविधियों के केंद्र 100 शहरों में पानी का गंभीर संकट होगा। यहां रहने वाली 35 करोड़ की आबादी 2050 तक पानी के गंभीर संकट से दो-चार होगी। इससे बचने के लिए तत्काल कार्रवाई के साथ जलवायु परिवर्तन पर तुरंत प्रभाव के साथ काम करने की जरुरत है।
    रिपोर्ट में अन्य भारतीय शहरों का नाम ये हैं- अमृतसर, पुणे, श्रीनगर, कोलकत्ता, बंगलूरू, कोझिकोड़ा, विशाखापट्टनम, ठाणे, नासिक, अहमदाबाद, जबलपुर, हुबली, धारावाड़, नागपुर, लुधियाना, जालंधर, धनबाद, भोपाल, ग्वालियर, सूरत, अलीगढ़ और कन्नूर। इस विश्लेषण में शहरों को 2030 और 2050 के आधार पर पांच में से नंबर देकर आकलित किया गया।

    इसमें तीन से अधिक को संवेदनशील और चार से अधिक नंबर नवाले इलाकों को अतिसंवेदनशील इलाकों में शुमार कर रेटिंग दी गई। इसमें दोनों की श्रेणियों में भारत के 30 शहरों को कम से कम तीन और उससे अधिक स्कोर मिले, इससे साफ जाहिर है कि यहां स्थितियां किस कदर विपरीत हैं। इसमें सबसे अधिक जोखिम वाले स्कोर लुधियाना, चंडीगढ़, अमृतसर और अहमदाबाद को मिले हैं।

    डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया की कार्यक्रम निदेशक डॉ. सेजल वोराह ने अमर उजाला से कहा कि भारत के पर्यावरण में आने वाले समय में शहरों का खासा महत्व होगा। इसके लिए जरूरी है कि हमें शहरों को मौसम की अति और कमी जैसे कभी बाढ़, तो कभी पानी की कमी से बचाने के लिए हमें तालाबों की बहाली और प्रकृति आधारित समाधानों की ओर जाना होगा।

    उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट एक सचेतक हो सकती है, हमारे लिए एक अवसर बन सकती है कि हम फिर से प्रकृति के संरक्षण की ओर सोचे और कल्पना करें की शहरों का भविष्य क्या हो सकता है। इस रिपोर्ट में 100 शहरों में कुछ दक्षिण एशिया, अमेरिका और अफ्रीका में हैं, जबकि 50 शहर चीन के हैं। इसमें चिंता की बात यह है कि भारत ऐसा देश है जिसके शहर अतिसंवेदनशील जोखिम वाले शहरों की वर्तमान और आने वाले कल यानी दोनों सूचियों में शुमार रखता है।

    डब्ल्यूडब्ल्यूएफ द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि इस रिपोर्ट का उद्देश्य दीर्घकालीन योजनाओं के निर्माण में सहायता करना, स्थितियों का रणनीतिक मूल्यांकन करके उसके समाधान के लिए प्रेरित करना है।

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