डॉ. प्रभात ओझा
मेहुल चोकसी के डोमिनिका में पकड़े जाने के बाद उसके साथ नीरव मोदी का जिक्र भी स्वाभाविक है। मेहुल चोकसी और उसके भांजे नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक के साथ धोखाधड़ी के आरोप हैं। मामा-भांजे ने मिलकर बैंक के अधिकारियों से साठगांठ कर कथित तौर पर 13 हजार 500 करोड़ रुपये का घपला किया है। भारत में दोनों के खिलाफ सीबीआई और इडी की जांच जारी है। इस बीच मेहुल चोकसी ने एंटीगा में शरण ले ली, तो नीरव मोदी फिलहाल लंदन की जेल में है। भारत इन दोनों के प्रत्यर्पण की कोशिश कर रहा है। मेहुल की गिरफ्तारी के साथ संकेत मिल रहे हैं कि इस कोशिश में पहली सफलता जल्द मिल सकती है। खबर आ रही है कि भारत सरकार ने पिछले दिनों कुछ कूटनीतिक रास्ते तय किए हैं, जिनके चलते यह मुमकिन हो सकेगा।
सफलता किस तरह से नजदीक है, इसे समझने के लिए एंटीगुआ एंव बारमुडा के प्रधानमंत्री का ताजा बयान देखना होगा। उन्होंने कहा है कि डोमिनिका में पकड़े गये मेहुल को भारत भेज दिया जायेगा। तथ्य यह है कि भारत भेजे जाने के डर से ही मेहुल चोकसी एंटीगा से क्यूबा भागने की कोशिश में डोमिनिका में पकड़ लिया गया है। जानकारी मिली है कि एंटीगा के प्रधानमंत्री कार्यालय ने डोमिनिक सरकार से चोकसी को गिरफ्तार करने के लिए कहा था। एंटीगा ने इसके लिए येलो कॉर्नर नोटिस जारी किया था। उसी के तहत यह गिरफ्तारी सम्भव हुई। अब एंटीगा सरकार का यह रुख भारत के अनुकूल होगा कि डोमिनिक सरकार मेहुल को एंटीगा की जगह सीधे भारत को सौंप दे।
इस प्रक्रिया में कोई दिक्कत शायद इसलिए नहीं आयेगी, क्योंकि मेहुल एंटीगा का नागरिक बन गया था। अब वही एंटीगा उसके डोमिनिका में गिरफ्तारी के बाद भारत को सौंपने को कह रहा है। मेहुल चोकसी ने 2018 के शुरू में भारत से भागने के पहले 2017 में ही कैरेबियाई देश एंटीगा एंड बारबुडा की नागरिकता ली थी। इस देश में निवेश कर नागरिक बनना सम्भव है।
मार्च में खबर आयी थी निवेश के तहत ली गयी मेहुल की यह नागरिकता रद्द कर दी गयी है, पर जल्द ही उसका खंडन कर दिया गया था। हालांकि इसी के साथ एंटीगा एंड बारबुडा के प्रधानमंत्री ने मेहुल को चेतावनी दी थी कि भागने की कोशिश पर उसकी नागरिकता जा सकती है। बहरहाल, अब जबकि मेहुल ने इस चेतावनी को अनसुना कर दिया है, प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन के सामने अपनी चेतावनी को अमल में लाने के साथ भारत के सामने अपनी साख को भी मजबूत करने का अवसर आ गया। गैस्टन ब्राउन ने कूटनीतिक तरीके से याद दिलाया है कि मेहुल ने डोमिनिका की नागरिकता नहीं ली है। ऐसे में डोमिनिका मेहुल का प्रत्यर्पण आसानी से कर सकता है। ब्राउन ने दृढ़ संकल्प जताया है, “हमारा देश मेहुल चोकसी को स्वीकार नहीं करेगा। उसने इस द्वीप से जाकर शर्तों का उल्लंघन करते हुए बड़ी गलती कर दी है।”
एंटीगा एंड बारबुडा के प्रधानमंत्री के ताजा बयान में उन्हें यह कहते हुए भी बताया गया कि डोमिनिका की सरकार और अधिकारी एंटीगा के साथ सहयोग कर रहे हैं। बयान के मुताबिक, एंटीगा ने भारत को भी सूचित कर दिया है कि मेहुल चोकसी उसे सौंप दिया जाएगा। खबर तो यह भी है कि एंटीगा अपनी इस कूटनीति में भारत के बताये रास्ते के मुताबिक ही आगे बढ़ा है। अनधिकृत तौर पर मेहुल के भागने के मामले में भी कुछ अलग तरह की खबरें आ रही हैं।
खबरें जो भी हों, सच यह है कि वह निवेश के तहत एंटीगा की नागरिकता को भी दरकिनार कर डोमेनिक राज्य में पाया गया है। यदि डमोनिका के साथ उसकी कोई कानूनी संधि नहीं है, तो वह शीघ्र ही भारतीय जेल में रहते हुए अपने बारे में कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगा। इसी के साथ पीएनबी की मुंबई शाखा से फर्जी गारंटी पत्र (एलओयू) के जरिए अन्य भारतीय ऋणदाताओं से भी विदेशी ऋण हासिल करने के मामले में न्याय प्रक्रिया आगे बढ़ सकेगी। ईडी और सीबीआई की जांच के आगे बढ़ने से सम्भव है कि मामा मेहुल के बाद भांजा नीरव पर भी शिकंजा कसे। शिकंजा तो उन ढेरों लोगों और बैंक कर्मचारियों पर भी कस सकता है, जिन्होंने इस बड़े घपले में दोनों की मदद की है।
(लेखक ‘हिन्दुस्थान समाचार’ के न्यूज एडिटर हैं।)
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