– हाउसिंग बोर्ड ने किया 200 करोड़ का घोटाला
– लीज शर्तों के उल्लंघन पर जो संपत्ति जब्त होना थी उसे भ्रष्ट अधिकारियों ने मात्र 86 लाख लेकर स्वामित्व सौंप डाला
– प्रेस काम्प्लेक्स के दिग्गजों को मात्र किराए पर भवन देने पर बेदखली के नोटिस और घोटालेबाजों को अरबों का फायदा
इंदौर। एक ओर तो प्रेस काम्प्लेक्स (Press Complex) के 26 भूखंडधारियों (Plot Holders) को लीज शर्तों के मात्र इतने उल्लंघन पर बेदखली के नोटिस जारी कर कानूनी उलझनों में डाल दिया कि उन्होंने अपने भवन को किराए पर दिया, वहीं इंदौर के हाउसिंग बोर्ड (Housing Board) ने ऐतिहासिक कारनामा करते हुए लीज शर्तों का उल्लंघन कर होटल (Hotel) की जगह हास्पिटल (Hospital) चला रहे सीएचएल (CHL) के भूखंड और विशाल भवन को फ्री होल्ड कर प्रबंधकों को 200 करोड़ रुपए का फायदा पहुंचाया। हाउसिंग बोर्ड की सांठगांठ से संपत्ति का स्वामित्व हासिल करने वाले हास्पिटल संचालक (Hospital Operator) अब संपत्ति को बेचने की तैयारी में हैं, ताकि अरबों का फायदा हासिल कर खरीदने वाले को उलझनों में डाला जा सके।
हाउसिंग बोर्ड द्वारा वर्ष 1970 में एबी रोड पर होटल (Hotel) का निर्माण किया गया था, जिसका नाम होटल सुहाग रखा गया था। बाद में हाउसिंग बोर्ड (Housing Board) द्वारा होटल (Hotel) संचालित करने में असमर्थता होने पर वर्ष 1986 में उक्त होटल बंजारा लिमिटेड (Hotel Banjara Limited) के डायरेक्टर राधेश्याम अग्रवाल को 30 वर्ष की लीज, यानी किराए पर दी गई। उक्त भूमि एवं भवन की लीज डीड की शर्त की कंडिका 7 में स्पष्ट रूप से यह शर्त रखी गई कि उक्त भूमि एवं भवन में केवल होटल व्यवसाय संचालित किया जाएगा। होटल बंजारा लिमिटेड ने शर्तों का पालन करते हुए उक्त भवन में होटल इंडोटेल (Hotel Indotel) का संचालन किया, लेकिन आर्थिक संकट में फंसे ग्रुप ने उक्त भूमि एवं भवन वर्ष 1999 में कन्विनेंट होटल्स लिमिटेड को समान लीज शर्तों के आधार विक्रय कर दी। कंपनी का उद्देश्य होटल व्यवसाय होने के कारण हाउसिंग बोर्ड (Housing Board) द्वारा नामांतरण स्वीकार कर लिया गया, जिसकी नामांतरण डीड पर कन्विटेंट होटल लिमिटेड के डायरेक्टर की हैसियत से डॉ. राजेश जैन ने हस्ताक्षर किए। इसके पश्चात कन्विनेंट होटल लिमिटेड ने चतुराई दिखाते हुए अपनी कंपनी का नाम कन्विनेंट होटल्स लिमिटेड से कन्विनेंट हास्पिटल्स लिमिटेड कर दिया और होटल की जगह हास्पिटल Hospital का संचालन शुरू कर दिया। इस लीज उल्लंघन की तमाम शिकायतों को हाउसिंग बोर्ड न केवल कचरे में डालता रहा, बल्कि लीज डीड की शर्तों में उल्लेखित भवन में अतिरिक्त एवं आंतरिक परिवर्तन नहीं किए जाने की शर्तों को भी परिवर्तित कर अतिरिक्त निर्माण कार्य की सहमति प्रदान कर दी गई। इसके बाद मध्यप्रदेश गृह निर्माण मंडल द्वारा 20-1-2015 को एक परिपत्र जारी कर कुछ लीज की संपत्तियों को सशर्त फ्री होल्ड में परिवर्तित करने का परिपत्र जारी किया गया, जिसकी मुख्य शर्त क्रमांक 8 यह थी कि उन्हें संपत्तियों को फ्री होल्ड किया जाएगा, जिन्होंने भूमि उपयोग यानी लैंडयूज में कोई परिवर्तन नहीं किया हो। लेकिन हाउसिंग बोर्ड (Housing Board) की सांठगांठ से उत्साहित संचालकों ने उक्त संपत्ति को फ्री होल्ड करने का आवेदन दिया, जिसे बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारियों ने स्वीकार करते हुए लीज शर्तों के उल्लंघन पर जिस भूमि एवं भवन को बेदखली का नोटिस जारी किया जाना था एवं लीज निरस्त की जानी थी उसके भूखंड को कलेक्टर गाइड लाइन का मात्र डेढ़ प्रतिशत भूखंड मूल्य 80 लाख 79 हजार 110 रुपए एवं 10 वर्ष की अग्रिम लीज राशि मात्र 4 लाख 86 हजार 670, यानी कुल रकम 85,65,780 रुपए लेकर फ्री होल्ड करने के आदेश जारी कर दिए।
घोटाले में घोटाला… 4683 वर्गफीट का पंजीयन कराया बाद में उसे संशोधन कर 50,000 वर्गफीट कर डाला
हाउसिंग बोर्ड द्वारा फ्री होल्ड पंजीयन का दस्तावेज अ-1-1853 दिनांक 30-3-2015 को पंजीकृत कराया गया, जिसका क्षेत्रफल 4683.54 वर्गफीट लिखा गया। इसके बाद एक संशोधन प्रस्तुत कर उक्त वर्गफीट की जगह उतने ही आकार, यानी 4683.54 वर्गमीटर किए जाने का संशोधन किया गया। आशंका यह भी है कि हाउसिंग बोर्ड (Housing Board) द्वारा कलेक्टर गाइड लाइन से ली गई राशि वर्गफीट में ली गई और बाद में उसे वर्गमीटर में परिवर्तित कर भी बोर्ड को आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया।
हाउसिंग बोर्ड ने खुद माना कि अधिकारियों ने गड़बड़ी की, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं
हाउसिंग बोर्ड (Housing Board) द्वारा लीज डीड का उल्लंघन कर होटल (Hotel) की जगह चलाए जा रहे हास्पिटल की लीज निरस्ती की कार्रवाई के बजाय उसे फ्री होल्ड किए जाने पर की गई शिकायतों के जवाब में तत्कालीन उपायुक्त एनके देशपांडे ने स्वीकार किया कि मंडल द्वारा बनाई गई होटल सुहाग को बंजारा लिमिटेड को विक्रय किए जाने के समय यह शर्त थी कि इस भूमि और भवन में केवल होटल का संचालन किया जाएगा। बाद में 23 दिसंबर 2000 को कन्विनेंट होटल लिमिटेड को लीज डीज निष्पादन के समय उक्त शर्त यथावत थी, लेकिन उसके साथ ही भूमि का उपयोग वाणिज्यिक भी जोड़ा गया, जिसका लाभ उठाने का हास्पिटल संचालकों द्वारा प्रयास किया गया होगा। लेकिन चूंकि होटल भी वाणिज्यिक गतिविधियों में शामिल होता है, इसलिए उक्त वाणिज्यिक शर्त का अर्थ अन्य व्यवसाय के लिए नहीं लिया जा सकता है। चूंकि उक्त भूमि का उपयोग वाणिज्यिक है, इसीलिए होटल का निर्माण किया गया, लेकिन लीज शर्तों के अनुसार उक्त भूमि और भवन में केवल होटल ही संचालित हो सकते हैं। इसके बावजूद लीज नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई के बजाय उक्त संपत्ति को फ्री होल्ड किया जाना अनुचित मानने के बावजूद घोटाला करने वाले किसी भी अधिकारी पर बोर्ड द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।
जब प्रेस केवल किराएदारी पर दोषी तो होटल की जगह हास्पिटल चलाए जाने वाले संपत्ति के मालिक कैसे हो गए?
प्रशासन द्वारा चाय व्यापारियो ंके साथ ही 40 वर्ष पूर्व प्रेस काम्प्लेक्स (Press Complex) में समाचार पत्रों को दिए गए भूखंड में अखबार संचालन की लीज शर्त के मामूली उल्लंघन पर बेदखली के नोटिस दे दिए गए, जिनके प्रकरण अभी भी न्यायालय में प्रचलित हैं। वहीं होटल की जगह हास्पिटल चलाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं किए जाने, बल्कि उनके भूखंड और भवन को मामूली राशि पर फ्री होल्ड किए जाने पर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं। हाउसिंग बोर्ड अपनी अरबों की जो संपत्ति जब्त कर उसी संपत्ति को खुले बाजार में इतनी ही राशि में बेच सकता था, उसे मात्र 86 लाख रुपए लेकर फ्री होल्ड करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों पर तो अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही उक्त दस्तावेज निरस्त करने की प्रशासन ने कोई कार्रवाई की।
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