चंडीगढ़: पंजाब और हिमाचल में बिक रहे हेरोइन से तैयार किए ‘चिट्टे’ के नशे से शरीर के प्लेटलेट्स 10 हजार तक नीचे गिर जाते हैं, जिससे मौत भी हो सकती है. हिमाचल पुलिस द्वारा विभिन्न स्थानों से जब्त किए गए नमूनों की फोरेंसिक जांच में पाया गया है कि पंजाब से हिमाचल में तस्करी कर लाया जा रहा हेरोइन व्युत्पन्न ‘चिट्टा’ दिल्ली से आने वाले की तुलना में अधिक नशीला और घातक है. यह प्लेटलेट्स में गिरावट का कारण बनता है.
दि ट्रिब्यून की रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि ‘चिट्टा’ या डायस्टाइल मॉर्फिन हेरोइन का एक मिलावटी रूप है और इसमें अन्य दवाएं भी शामिल हैं. पंजाब से कांगड़ा और मंडी जिलों में जब्त किए गए चिट्टे के नमूनों में हेरोइन और ड्रग्स ट्राइमेथॉर्फ़िम और मेगालोब्लास्टिक पाए गए हैं. अत्यधिक नशे की लत के शिकार लोग इसका प्रयोग कर रहे हैं और यह प्लेटलेट्स में भारी गिरावट का कारण बन सकता है.
जुंगा (शिमला जिले) में राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में सहायक निदेशक (एनडीपीएस) कपिल शर्मा ने कहा कि तीन से चार महीने तक नियमित रूप से ‘चिट्टा’ का सेवन करने से प्लेटलेट्स 10,000 से नीचे गिर सकते हैं, जो घातक साबित हो सकता है. शर्मा ने कहा कि दूसरी ओर दिल्ली के बाजारों से प्राप्त ‘चिट्टा’ हेरोइन, पेरासिटामोल और डेक्सट्रोमेथोर्फ़न का एक संयोजन था, जो तुलनात्मक रूप से कम घातक था.
रिपोर्ट में एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि भारत को हेरोइन की आपूर्ति मुख्य रूप से दो मार्गों से की जाती है. इनमें ‘गोल्डन क्रिसेंट’, जो अफगानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान से निकलता है और पंजाब तक पहुंचता है; दूसरा ‘गोल्डन ट्रायंगल’ जहां से हेरोइन म्यांमार, लाओस और थाईलैंड से दिल्ली और अन्य हिस्सों तक पहुंच रही है. एक अधिकारी ने कहा कि हिमाचल में ‘चिट्टे’ की खपत पिछले पांच वर्षों में कई गुना बढ़ गई है, जो 2017 में 3.417 किलोग्राम से बढ़कर 2022 में 14.907 किलोग्राम हो चुकी है.
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