भोपाल। गुनगा थाना क्षेत्र के दो दर्जन गांव के एक सैकड़ा से अधिक किसानों और ग्रामीणों को पांच साल में पैसा दोगुना करने के नाम पर दो चिटफंड कंपनियों ने करीब पांच करोड़ का चूना लगा दिया है। चार साल पहले दोनों कंपनियों के अधिकारी गांव जाकर लोगों से संपर्क कर ग्राहक बनाए थे। इसके बाद उन्हीं ग्राहकों को चिटफंड कंपनी का एजेंट बनाकर करीब पांच करोड़ की वसूली कराई है। एफडी की मैच्योरिटी डेट आने से पहले ही दोनों कंपनियों ने भोपाल में स्थित अपने-अपने कार्यालयों में ताला लगाकर चंपत हो गई हैं। एक कंपनी के मालिक इंदौर और दूसरी कंपनी के संचालक देवास के रहने वाले बताए जाते हैं। गुनगा थाना पुलिस ने दोनों मामलों में अलग-अलग धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पुलिस के अनुसार ग्राम काछी बरखेड़ा निवासी संतोष चौकसे से करीब साढ़े चार साह पले गिरिराज पाण्डेय, दीपक शर्मा व अन्य गांव आकर मिले थे। गिरिराज खुद को जी लाइफ इंडिया कंपनी का सीएमडी बताया था। एफडी के माध्यम से पैसे जमा करने पर पांच साल में दोगुना करने का झांसा दिया था। संतोष चौकसे ने पहले खुद पैसा जमा किया, फिर कंपनी का एजेंट बनकर करीब सैकड़ा ग्रामीणों से करीब चार करोड़ रुपए जी लाइफ इंडिया के खाते में करा दिए। कंपनी ने भोपाल स्थित अपना कार्यालय लॉकडाउन में बंद किया, इसके बाद से कोई अधिकारी ग्राहकों के संपर्क में नहीं आ रहा और न ही किसी का पैसा चुकता हर रहे। पुलिस ने इस मामले में गिरिराज पाण्डेय, दीपक शर्मा, अशोक दुबे, आरएस वर्मा, जितेंद्र तिवारी, महेश, सुनील शर्मा, किशोर व अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। इसी तरह मूलत: देवास निवासी योगेश गुर्जर खुद को एचबीएन चिटफंड कंपनी का खुद को सीएमडी बताता था। उसने राहुल, राजेदं्र, सुनील व अन्य के साथ मिलकर गुनगा थाना क्षेत्र के आधा सैकड़ा से अधिक ग्रामीणों रे करीब 80 लाख रुपए बीते चार साल में जमा कराए हैं। उक्त कंपनी भी पांच साल में पैसा डबल करने का झांसा देती थी। इस मामले में ग्राम रतुआ निवासी राजेश मालवीय फरियादी है। राजेश पहले उक्त चिटफंड कंपनी में पैसा जमा कराया था, इसके बाद एजेंट बनकर खुद लोगों से पैसा जमा कराने लगा। दोनों चिटफंड कंपनियों के मालिक व अन्य अधिकारी कंपनी को आरबीआई में रजिस्टर्ड बताते थे।
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