पटना: जातिगत गणना सर्वे रिपोर्ट पर बिहार में राजनीति जारी है. इस क्रम में लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने बिहार की नीतीश सरकार से कानू, हलवाई, नोनिया, बेलदार, बढ़ई, कुम्हार, बिंद, नाई, तुरहा, तमोली, चंद्रवंशी जाति को अनुसूचित जाति जबकि लोहार को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग की है. चिराग ने इसके लिए आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक व शैक्षणिक पिछड़ापन का कारण बताते हुए इसे जल्द से जल्द लागू करने की मांग की है. चिराग ने इसके लिए अपने पड़ोसी राज्य झारखंड का उदाहरण दिया है.
चिराग पासवान ने कहा कि इन 12 जातियों का आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन को देखते हुए, इन जातियों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किया जाना चाहिए. इसके लिए वर्ष 2000 में ही विधानसभा और विधान परिषद से प्रस्ताव पारित कर भारत सरकार को भेजा गया था. लेकिन, उस समय की सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया.
चिराग पासवान ने आगे कहा, झारखंड राज्य अलग बनाने का और इन 12 जातियों को अनुसूचित-जनजाति में शामिल करने का प्रस्ताव एक ही दिन पारित कराकर केन्द्र सरकार को भेजा गया था. झारखंड राज्य का गठन तो तुरंत हो गया, परन्तु इन जातियों का मामला अधर में लटका दिया. यह अपने आप में एक ऐतिहासिक फैसला है.
राजनीति के जानकार कहते हैं कि चिराग पासवान की यह मांग अगर सरकार मान लेती है और इन 12 जातियों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में शामिल करती है तो नौकरी से लेकर चुनाव तक में एससी-एसटी आरक्षण का फायदा इन जातियों भी मिलेगा. साथ ही चिराग के कोर वोटर पासवान हैं, और एससी आरक्षण का बहुत फायदा मिला है. ऐसे में ये यह दिलचस्प होगा कि पासवान समेत मौजूदा एससी जातियां चिराग पासवान की इस मांग को कैसे लेती हैं.
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