नई दिल्ली। बीजेपी (BJP) के सहयोगी और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान (Union Minister Chirag Paswan) ने सरकारी नियुक्तियों (Government appointments) के लिए किसी भी पहल की कड़ी आलोचना की है, जो आरक्षण के सिद्धांतों के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा कि इसमें कोई अगर-मगर की बात नहीं है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया की सरकारी नौकरियों में इस तरह के प्रावधान जरूरी हैं. उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे को केंद्र सरकार (Central government) के सामने उठाएंगे।
चिराग पासवान का बयान तब सामने आया है जब यूपीएससी में लैटरल एंट्री को लेकर विपक्षी पार्टियां केंद्र पर हमलावर हैं. विपक्षा का आरोप है कि इस तरह के प्रावधान के जरिए पिछड़ी जातियों के आरक्षण को छीनने की कोशिश की जा रही है।
क्या बोले केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान?
चिराग पासवान ने कहा, “किसी भी सरकारी नियुक्ति में आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए. इसमें कोई शक-शुबहा नहीं है. निजी क्षेत्र में कोई आरक्षण नहीं है और अगर इसे सरकारी पदों पर भी लागू नहीं किया जाता है… यह जानकारी रविवार को मेरे सामने आई और यह मेरे लिए चिंता का विषय है।
चिराग पासवान ने कहा कि सरकार के सदस्य के तौर पर उनके पास इस मुद्दे को उठाने का मंच है और वह ऐसा करेंगे. केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि जहां तक उनकी पार्टी का सवाल है, वह इस तरह के उपाय के बिल्कुल भी समर्थन में नहीं है।
यूपीएससी ने निकाली 45 पदों पर भर्ती
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने हाल ही में कॉन्ट्रेक्ट के आधार पर लैटरल एंट्री के जरिए 45 पदों पर भर्ती निकाली है. इनमें संयुक्त सचिवों के लिए 10 और निदेशकों या उप सचिवों के लिए 35 पद शामिल हैं. आयोग के इस कदम का पुरजोर विरोध हो रहा है।
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सहित विपक्षी दलों का आरोप है कि यह बीजेपी द्वारा रिजर्वेशन पॉलिसी को खत्म करने और सहयोगियों को अहम पदों पर भर्ती करने के लिए जानबूझकर इस तरह की कोशिश कर रही है।
लेटरल एंट्री सिस्टम का सरकार ने किया बचाव
आलोचनाओं के जवाब में, बीजेपी ने लेटरल एंट्री पहल का बचाव करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य पिछली कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के तहत शुरू की गई भर्ती प्रक्रियाओं में ट्रांसपेरेंसी बढ़ाना है।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस के विरोध को पाखंडी करार दिया और बताया कि लेटरल एंट्री की पहल का प्रस्ताव यूपीए के दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग द्वारा दिया गया था. उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार शासन की गुणवत्ता में सुधार के लिए पारदर्शी तरीके से इन सिफारिशों का सम्मान और इंप्लीमेंटेशन कर रही है।
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