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83 दिन में चार बार राजग से अलग स्टैंड लेते दिखे चिराग पासवान

August 26, 2024

नई दिल्ली. केंद्रीय मंत्री (Union Minister) और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने एक बार फिर NDA की लीक से हटकर अपनी अलग राय जाहिर की है. उन्होंने रविवार को जातिगत जनगणना का समर्थन किया है. चिराग ने कहा- हम चाहते हैं कि जाति जनगणना हो. बता दें कि इससे पहले भी चिराग पासवान जातिगत जनगणना को लेकर अपनी ऐसी ही राय रख चुके हैं, बल्कि बीते दिनों उन्होंने लेटरल एंट्री वाले मामले पर मुखर विरोध जताया था.


ऐसा कहकर चिराग पासवान कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा मुखिया अखिलेश यादव की उस मांग के समर्थन में खड़े हो गए हैं, जिसका झंडा दोनों नेताओं ने बीते लोकसभा चुनाव से उठा रखा है. अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या चिराग को वोटों का समीकरण एनडीए से अलग् लाइन लेने के लिए मजबूर कर रहा है या कोई और वजह है?

चिराग की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी का कोर वोटर पासवान वोटर है. पासवान वोटबैंक बिहार में करीब 5.31 फीसदी है. चिराग को भी इस बात का अंदाजा है कि किसी दूसरे वर्ग का समर्थन नहीं मिला तो अकेले पासवान वोटर के दम पर कोई सीट जीत पाना मुश्किल होगा. कहा ये भी जा रहा है कि हालिया लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीटों में आई कमी और आरजेडी, सपा जैसी पार्टियों के अच्छे प्रदर्शन के बाद चिराग सियासी मौसम का मिजाज भांप धीरे-धीरे अपना स्टैंड शिफ्ट तो नहीं कर रहे?

दरअसल, रांची में रविवार को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान एक बार फिर से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए है. अध्यक्ष चुने जाने के बाद, चिराग पासवान ने कहा, “आज रांची में हमारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई जिसमें देश भर से हमारी कार्यकारिणी के सदस्य शामिल हुए. इस कार्यकारिणी बैठक का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करना था. मुझे फिर से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है.”

इस दौरान जाति जनगणना के मुद्दे पर अपनी राय स्पष्ट करते हुए चिराग पासवान ने कहा, “मेरी पार्टी ने हमेशा जाति जनगणना के समर्थन में अपनी स्थिति स्पष्ट रखी है. हम चाहते हैं कि जाति जनगणना हो. इसका कारण यह है कि कई बार राज्य सरकार और केंद्र सरकार ऐसी योजनाएं बनाती हैं जो जाति को ध्यान में रखकर तैयार की जाती हैं. ये योजनाएं मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से बनाई जाती हैं. ऐसे में सरकार के पास उस जाति की जनसंख्या की जानकारी होनी चाहिए. कम से कम यह जानकारी होनी चाहिए ताकि उस जाति को मुख्यधारा से जोड़ने या संबंधित योजना के तहत धन का वितरण उचित मात्रा में किया जा सके. इस संबंध में ये आंकड़े कम से कम सरकार के पास होने चाहिए.”

पहले भी कई मुद्दों पर रख चुके हैं अलग राय

चिराग पासवान पहले भी जातिगत जनगणना को लेकर ऐसी ही राय रख चुके हैं. न सिर्फ जातिगत जनगणना, बल्कि उन्होंने कई और मामलों और मुद्दों पर भी अपनी ही सहोगी पार्टी के रुख पर विरोध जताया है. हाल ही में चिराग पासवान केंद्र सरकार की लेटरल एंट्री वाली भर्ती को लेकर मुखर विरोध करते नजर आए थे. विपक्षी दल इसे लेकर पहले से ही सरकार को घेर रहे थे, नतीजतन केंद्र सरकार ने इस भर्ती प्रक्रिया को वापस ले लिया. चिराग पासवान कई मौकों पर NDA से अलग ही लीक पर चलते दिखे हैं.

जातिगत जनगणना पर पहले भी दिखा चुके हैं NDA से अलग रुख

बीती जुलाई में भी चिराग पासवान ने जातिगत जनगणना को अपना समर्थन दिया था. पासवान ने जाति जनगणना के समर्थन में अपनी पार्टी का पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा था कि जाति जनगणना अगली जनगणना का हिस्सा होनी चाहिए, क्योंकि समुदाय-आधारित विकास योजनाओं के लिए सही आंकड़े जरूरी होते हैं. हालांकि, उन्होंने इस डेटा को सार्वजनिक करने का विरोध भी किया था. इसके लिए उनका यह कहते हुए कि इससे समाज में विभाजन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. एनडीए के अन्य दलों ने भी जाति जनगणना का समर्थन किया है, लेकिन चिराग पासवान का इस मुद्दे पर खास जोर और डेटा की सार्वजनिकता को लेकर उनकी चिंताएं उन्हें बाकी दलों से अलग खड़ा करती हैं.

लेटरल एंट्री पर भी रखी अलग राय

अभी हाल ही में चिराग पासवान ने चर्चित लेटरल एंट्री के मुद्दे पर भी विरोध जताया था. आरक्षण के मुद्दे पर चिराग पासवान का रुख हमेशा स्पष्ट रहा है. उन्होंने सरकारी नौकरियों में आरक्षण के प्रावधान के समर्थन में जोरदार तरीके से बात उठाई थी. हाल ही में, जब यूपीएससी में लैटरल एंट्री का मुद्दा उठा, तो चिराग पासवान ने इसकी कड़ी आलोचना की और कहा कि यह आरक्षण के सिद्धांतों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि सरकारी पदों पर आरक्षण का प्रावधान जरूरी है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. इस मुद्दे पर उन्होंने एनडीए के कुछ घटक दलों से अलग राय रखी है, जो लैटरल एंट्री का समर्थन करते हैं.

भारत बंद को दिया था समर्थन

बीते दिनों चिराग पासवान ने भारत बंद को भी समर्थन दिया था. यह बंद अनुसूचित जाति (SC) व जनजाति (ST) आरक्षण में क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ देश भर के विभिन्न संगठनों के आह्वान पर बुलाया गया था. कई विपक्षी दलों को भी इस ‘भारत बंद’ का समर्थन मिला था. लोजपा (आर) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी इस भारत बंद का समर्थन किया था. उन्होंने कहा था कि ‘इस बंद को हमारा पूरा समर्थन रहेगा. चिराग ने कहा कि जब तक समाज में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के खिलाफ छुआछूत जैसी प्रथा है. तब तक एससी/एसटी श्रेणियों को सब-कैटेगरी में आरक्षण और क्रीमीलेयर जैसे प्रावधान नहीं होने चाहिए.’

समान नागरिक संहिता (यूसीसी)

समान नागरिक संहिता का मुद्दा देश में लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है. एनडीए के कई घटक दल इसे लागू करने की वकालत करते रहे हैं, लेकिन चिराग पासवान ने इस मुद्दे पर अपनी राय स्पष्ट करते हुए कहा कि जब तक यूसीसी का मसौदा सामने नहीं आता, तब तक उनकी पार्टी इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं ले सकती. उन्होंने यूसीसी के संभावित प्रभावों को लेकर चिंता जताई और कहा कि भारत जैसे विविधताओं वाले देश में एकल नागरिक संहिता लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. उन्होंने खासतौर पर आदिवासियों और विभिन्न धार्मिक व सांस्कृतिक समुदायों के लिए अलग-अलग परंपराओं का हवाला देते हुए इस पर गहन विचार-विमर्श की जरूरत बताई थी.

बिहार विधानसभा चुनाव 2020

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के दौरान चिराग पासवान ने अपने पिता रामविलास पासवान की विरासत को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से एक अलग रणनीति अपनाई. उन्होंने एनडीए के घटक दल जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था. चिराग पासवान ने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को जेडीयू के खिलाफ उतारा, जिससे एनडीए के भीतर तनाव बढ़ गया. हालांकि, वह खुद एनडीए में बने रहे और भाजपा के साथ गठबंधन बनाए रखा. इस दौरान उनकी पार्टी ने “नीतीश मुक्त बिहार” का नारा दिया था.

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