नई दिल्ली: केंद्र सरकार (Central government) में मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एक बार फिर NDA की विचारधारा से अलग राय रखते नजर आ रहे हैं. चिराग पासवान (chirag paswan) ने रविवार को एक बार फिर जातिगत जनगणना पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हए कहा कि हम चाहते हैं कि जाति जनगणना हो. ऐसा कहकर चिराग पासवान कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा मुखिया अखिलेश यादव की उस मांग के समर्थन में खड़े हो गए हैं, जिसका झंडा दोनों नेताओं ने बीते लोकसभा चुनाव से उठा रखा है. बता दें कि इससे पहले भी चिराग पासवान जातिगत जनगणना को लेकर अपनी ऐसी ही राय रख चुके हैं, बल्कि बीते दिनों उन्होंने लेटरल एंट्री वाले मामले पर मुखर विरोध जताया था.
मौका था रांची में रांची में रविवार को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक का. इस बैठक में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को एक बार फिर से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है. अध्यक्ष चुने जाने के बाद, चिराग पासवान ने कहा, “आज रांची में हमारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई जिसमें देश भर से हमारी कार्यकारिणी के सदस्य शामिल हुए. इस कार्यकारिणी बैठक का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करना था. मुझे फिर से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है.”
इस दौरान जाति जनगणना के मुद्दे पर अपनी राय स्पष्ट करते हुए चिराग पासवान ने कहा, “मेरी पार्टी ने हमेशा जाति जनगणना के समर्थन में अपनी स्थिति स्पष्ट रखी है. हम चाहते हैं कि जाति जनगणना हो. इसका कारण यह है कि कई बार राज्य सरकार और केंद्र सरकार ऐसी योजनाएं बनाती हैं जो जाति को ध्यान में रखकर तैयार की जाती हैं. ये योजनाएं मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से बनाई जाती हैं. ऐसे में सरकार के पास उस जाति की जनसंख्या की जानकारी होनी चाहिए. कम से कम यह जानकारी होनी चाहिए ताकि उस जाति को मुख्यधारा से जोड़ने या संबंधित योजना के तहत धन का वितरण उचित मात्रा में किया जा सके. इस संबंध में ये आंकड़े कम से कम सरकार के पास होने चाहिए.”
चिराग पासवान पहले भी जातिगत जनगणना को लेकर ऐसी ही राय रख चुके हैं. बल्कि न सिर्फ जातिगत जनगणना, बल्कि उन्होंने कई और मामलों और मुद्दों पर भी अपनी ही सहोगी पार्टी के रुख पर विरोध जताया है. हाल ही में चिराग पासवान केंद्र सरकार की लेटरल एंट्री वाली भर्ती को लेकर मुखर विरोध करते नजर आए थे. विपक्षी दल इसे लेकर पहले से ही सरकार को घेर रहे थे, नतीजतन केंद्र सरकार ने इस भर्ती प्रक्रिया को वापस ले लिया. चिराग पासवान कई मौकों पर NDA से अलग ही लीक पर चलते दिखे हैं.
बीती जुलाई में भी चिराग पासवान ने जातिगत जनगणना को अपना समर्थन दिया था. पासवान ने जाति जनगणना के समर्थन में अपनी पार्टी का पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा था कि जाति जनगणना अगली जनगणना का हिस्सा होनी चाहिए, क्योंकि समुदाय-आधारित विकास योजनाओं के लिए सही आंकड़े जरूरी होते हैं. हालांकि, उन्होंने इस डेटा को सार्वजनिक करने का विरोध भी किया था. इसके लिए उनका यह कहते हुए कि इससे समाज में विभाजन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. एनडीए के अन्य दलों ने भी जाति जनगणना का समर्थन किया है, लेकिन चिराग पासवान का इस मुद्दे पर खास जोर और डेटा की सार्वजनिकता को लेकर उनकी चिंताएं उन्हें बाकी दलों से अलग खड़ा करती हैं.
अभी हाल ही में चिराग पासवान ने चर्चित लेटरल एंट्री के मुद्दे पर भी विरोध जताया था. आरक्षण के मुद्दे पर चिराग पासवान का रुख हमेशा स्पष्ट रहा है. उन्होंने सरकारी नौकरियों में आरक्षण के प्रावधान के समर्थन में जोरदार तरीके से बात उठाई थी. हाल ही में, जब यूपीएससी में लैटरल एंट्री का मुद्दा उठा, तो चिराग पासवान ने इसकी कड़ी आलोचना की और कहा कि यह आरक्षण के सिद्धांतों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि सरकारी पदों पर आरक्षण का प्रावधान जरूरी है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. इस मुद्दे पर उन्होंने एनडीए के कुछ घटक दलों से अलग राय रखी है, जो लैटरल एंट्री का समर्थन करते हैं.
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