नई दिल्ली । लद्दाख (Ladakh) के पास लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पास भारतीय क्षेत्र (Indian Territory) में भटक कर आए 40 चीनी याक्स (Chinese Yaks) को भारत ने चीन (China) को लौटा दिया है. साथ ही इन याक्स के मालिकों को भारतीय क्षेत्र में न आने की कड़ी चेतावनी भी दी गई है. यह असल में चीन की अतिक्रमण रणनीति का हिस्सा हो सकता है, और इस तरह की साजिशें चीन अक्सर करता है.
हाल ही में, 40 चीनी याक्स पूर्वी लद्दाख के डेमचोक क्षेत्र में कथित रूप से भटक कर आए थे. इस घटना की जानकारी चुषुल काउंसलर कोंचोक तेंजिन ने 19 अगस्त को सोशल मीडिया पर शेयर की थी, जिन्होंने बताया कि जब भारतीय पशु चीनी क्षेत्र में भटक कर जाते हैं, तो उन्हें वापस नहीं लौटाया जाता. हालांकि, भारत ने सद्भावना दिखाते हुए याक्स को चीन को लौटा दिया.
चीन रचता है अतिक्रमण की साजिशें
भारतीय सेना ने इस घटना के बारे में स्थापित प्रोटोकॉल के मुताबिक चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को जानकारी दी और याक्स को अगले दिन लौटा दिया गया. चीन अक्सर एलएसी पर अपने दावों को मजबूती देने के लिए इस तरह की चालें चलता है. लद्दाख में चराई वाले इलाकों पर विवाद आम रहे हैं. यह क्षेत्र भारतीय आदिवासी समुदायों के लिए अहम है, जिनके पशु यहां अक्सर चराई करते हैं.
2020 के बाद मामलों में आई बढ़ोतरी
एलएसी पर 2020 में भारत और चीनी सेना के बीच खूनी झड़प के बाद से ऐसे मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है. इन क्षेत्रों में चरने वाले पशुओं की संख्या 2019 में 56,000 से घटकर 2021 में 28,000 हो गई थी. हालांकि, हाल के वर्षों में यह संख्या फिर से लगभग 58,000 तक बढ़ गई है.
सीधे विवाद से बचने के लिए चीन अपनाता है टैक्टिक्स
लद्दाख में चुषुल, तारा, न्योमा, फुकचे, और डेमचोक सहित लगभग दस प्रमुख चराई क्षेत्र हैं, जहां भारतीय चरवाहे अपने पशुओं को चराते रहते हैं. तनाव और टकराव के बीच चीन सीधे विवाद से बचने के लिए माना जाता है कि अपने चरवाहों और पशुओं को भारतीय क्षेत्रों में भेजता रहता है, और याक्स भी उसकी इसी रणनीति का हिस्सा हो सकता है.
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