नई दिल्ली: चीनी सैनिकों (chinese soldiers) की एक बार फिर भारत-चीन सीमा (India-China border) पर दादागीरी देखने को मिली है. यहां चीनी सैनिकों ने लद्दाख के डेमचौक (Demchok of Ladakh0 में भारतीय चरवाहों को रोका है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने डेमचौक में सीएनएन जंक्शन पर सैडल पास के पास भारतीय चरवाहों की मौजूदगी पर आपत्ति जताई. इस घटना के बाद भारतीय सेना के कमांडरों (Indian Army Commanders) और चीनी सैनिकों के बीच इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कुछ बैठकें भी हुईं हैं. इससे पहले 21 अगस्त को भी लद्दाख के डेमचौक में चीनी सेना ने भारतीय चरवाहों को रोका था.
जानकारी के मुताबिक, चरवाहे क्षेत्र में लगातार आते रहे हैं और 2019 में भी मामूली हाथापाई हुई थी. उन्होंने कहा, ‘इस बार जब चरवाहे पशुओं के साथ गए, तो चीनियों ने आपत्ति जताई कि यह उनका क्षेत्र है. इस मुद्दे को चीनियों के साथ उठाया गया था.’ एक रक्षा सूत्र ने कहा कि दोनों सेनाओं के बीच कोई आमना-सामना नहीं हुआ. सूत्र ने कहा, ‘यह स्थानीय स्तर पर कमांडरों के बीच मुद्दे को हल करने और एलएसी पर शांति बनाए रखने के लिए एक नियमित बातचीत थी. यह प्रोटोकॉल के हिस्से के रूप में एलएसी के साथ नियमित रूप से होती रहती है.’
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि भारत और चीन अप्रैल 2020 से इस क्षेत्र में डटे हुए हैं. सेक्टर के कई क्षेत्र 15 जून 2020 को गालवान की घटना के बाद ‘नो पेट्रोलिंग जोन’ बन गए हैं, जब कई चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़पों में 20 भारतीय शहीद हो गए थे. भारतीय और चीनी सैनिक दो साल से अधिक समय से पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ कई स्थानों पर तैनात हैं, जहां राजनयिक और सैन्य स्तर पर कई दौर की बातचीत ने कुछ बिंदुओं पर गतिरोध को कम किया है.
भारत और चीन के सशस्त्र बलों के बीच मई, 2020 से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनावपूर्ण संबंध बने हुए हैं. भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए अब तक कई दौर की सैन्य एवं राजनयिक वार्ता की है. दोनों पक्षों के बीच राजनयिक और सैन्य वार्ता के परिणामस्वरूप कुछ इलाकों से सैनिकों को पीछे हटाने का काम भी हुआ है. अभी दोनों देशों में से प्रत्येक ने एलएसी पर संवेदनशील सेक्टर में करीब 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात कर रखे हैं.
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