नई दिल्ली: सस्ते फोन खरीदने वालों को भारतीय स्मार्टफोन बाजार (Smartphone Market) में केवल 3 ही नाम नजर आते हैं. ओप्पो, वीवो और शाओमी. इन तीनों चीनी कंपनियों (Chinese mobile firms) के स्मार्टफोन ही ग्राहकों की पॉकेट और मन में समाते हैं. इन कंपनियों ने बीते कुछ वर्षों में अपनी तकनीक का ऐसा जादू चलाया है कि माइक्रोमैक्स (Micromax) और लावा (Lava) जैसे देसी बजट के स्मार्टफोन मेकर्स गायब से हो गए हैं. लेकिन अब इन चीनी कंपनियों ने ऐसी योजना बनाई है कि भारतीय मार्केट में इनका जलवा कम हो सकता है. साथ ही ग्राहकों के लिए सस्ते फोन खरीदना मुश्किल हो जाएगा.
दरअसल, भारत में स्मार्टफोन बना रही चीनी कंपनियों पर लंबे समय से सरकार की सख्ती जारी है. इसकी वजह चीनी कंपनियों पर टैक्स चोरी को लेकर लगे गंभीर आरोप हैं. चीनी कंपनियों की इन कारगुजारियों का खुलासा होने से लंबे समय से हड़कंप मचा हुआ है. कंपनियों ने इस मामले में सफाई भी दी है, लेकिन इसके बावजूद सरकार उन्हें कोई राहत नहीं दी, जिससे अब ये कंपनियां परेशान हैं.
चीनी कंपनियों ने भारत में जारी सख्ती के बीच अपने मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स को दूसरे देशों में ले जाने की धमकी दी है. चीनी स्मार्टफोन मेकर्स इंडोनेशिया, बांग्लादेश, नाइजीरिया जैसे देशों में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगा सकते हैं. मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बंद करने के पीछे चीनी स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरर्स पर भारत सरकार की सख्ती जिम्मेदार है.
ये कदम इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि हाल ही में खबर आई थी कि भारत सरकार 12 हजार से कम कीमत वाले फोन को विदेशी कंपनियां नहीं बना सकेंगी. इसके बाद चीनी कंपनियों की तरफ से विदेशों में बाजार खोजने की संभावनाएं तलाशने से जुड़ा बयान आया था. लेकिन बाद में सरकार ने इस योजना की बात को खारिज कर दिया था. तब भी दावा किया जा रहा था कि सस्ते फोन के सेगमेंट में लावा और माइक्रोमैक्स जैसी कंपनियों को फिर से खड़ा करने की कोशिश के तहत सरकार ऐसा कदम उठा सकती है. लेकिन सरकार की तरफ से इस बात को नकारने के बाद लगा था कि चीनी कंपनियों के लिए भारतीय बाजार सुरक्षित है.
कारोबार के लिहाज से देखा जाए तो चीनी कंपनियां विस्तार के लिए भारत के अलावा किसी दूसरे देशों में प्लांट लगा सकती हैं. लेकिन भारत जैसे बड़े मार्केट में एकदम से मैन्युफैक्चरिंग बंद करना कंपनियों के लिए भारतीय बाजार से विदाई का सबब बन सकता है. ऐसे में यहां की बिक्री घटने से इन कंपनियों की कमाई पर जो असर पड़ेगा उससे उबरना आसान नहीं होगा. जाहिर है जिस तरह से 12 हजार से सस्ते फोन के मामले में भारत सरकार ने तुरंत सफाई जारी किया था. इससे चीनी कंपनियों के मैन्युफैक्चरिंग बंद करने धमकी सिर्फ दिखावा साबित हो सकती है. ये सरकार की सख्ती को रोकने का एक एजेंडा मालूम पड़ रही है.
दरअसल, चीन की स्मार्टफोन कंपनियां भारत में बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग करके कारोबार चला रही हैं. अगर वो यहां पर मैन्युफैक्चरिंग बंद करती हैं तो फिर भारत में लावा माइक्रोमैक्स का तो बाजार बढ़ेगा. साथ ही सैमसंग जैसे जाने-माने ब्रांड्स को भी मार्केट में हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी. भारत से बाहर मैन्युफैक्चरिंग करने पर इनके फोन की कीमत किफायती नहीं रह पाएगी, जो मार्केट शेयर के लिहाज से भारत जैसे बड़े बाजार को इनकी पहुंच से दूर कर सकता है.
ओप्पो ने मिस्र की सरकार के साथ 20 मिलियन डॉलर के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट को लगाने के सौदे पर साइन किए हैं. ओप्पो के MOU के आधार पर ही भारत की जगह मिस्र में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने की खबर को सभी कंपनियों की देश से बाहर जाने की मंशा करार दिया गया है. बीते कुछ वर्षों में चीन की स्मार्टफोन कंपनियों पर सरकार द्वारा की गई सख्ती के बाद ये रिपोर्ट सामने आई है. जिन कंपनियों पर सरकार ने एक्शन लिया है उनमें ओप्पो, वीवो इंडिया और शाओमी पर टैक्स चोरी से जुड़े मामलों की वजह से कार्रवाई की गई है.
चीन की इन स्मार्टफोन कंपनियों को डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने टैक्स चोरी के आरोप में नोटिस भेजा है. इनके खिलाफ जांच चल रही है. इसके अलावा भारत ने पिछले कुछ साल में 300 से ज्यादा चीनी ऐप को भी बैन किया है. इसमें वीचैट और टिक टॉक जैसे लोकप्रिय ऐप भी शामिल हैं. ऐसे में क्या वाकई चीनी कंपनियां भारत जैस बड़े बाजार से कारोबार समेटने की हिम्मत दिखा पाएंगी या फिर ये महज कोरी धमकी है. ये देखने वाली बात होगी.
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