नई दिल्ली (New Delhi) ! चीन (China) के हैकर्स ने भारत को निशाना बनाया है. इस साइबर (cyber) हमले में लगभग 100 जीबी इमिग्रेशन डेटा चोरी हुआ है. यह हमला शंघाई की एक कंपनी आईसून (iSoon) द्वारा किया गया. यह हैकिंग ग्रुप चीन की सरकार से जुड़ा हुआ है. इस हमले के खुलासे से साइबर सिक्योरिटी को लेकर नई चिंता पैदा हो गई है. चीन की तरफ से हाल के कुछ वर्षों में ऐसे हमले तेजी से बढ़े हैं. चीन लगातार विदेशी सरकारों, कंपनियों और इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बना रहा है.
इंटेलिजेंस और सेना को यह दस्तावेज उपलब्ध कराए
द वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन की सरकार द्वारा समर्थित आईसून वहां की इंटेलिजेंस और सेना को भी यह दस्तावेज उपलब्ध कराती है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हैकर्स ने लगभग 570 फाइल, फोटो और चैट लॉग चुराए हैं. इस डेटा से कई तरह की अहम सूचनाएं चीन के पास पहुंच गई हैं. पिछले हफ्ते यह फाइल्स गिटहब (GitHub) पर पोस्ट कर दी गई थीं. इससे पता चल रहा है कि लगभग 20 सरकारें हैकर्स के निशाने पर हैं. इनमें भारत के अलावा हॉन्गकॉन्ग, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, यूनाइटेड किंगडम, ताइवान और मलेशिया शामिल हैं.
दक्षिण कोरिया और ताइवान का भी अहम डेटा चुराया
आईसून को ऑक्सुन (Auxun) के नाम से भी जाना जाता है. यह सरकारी संस्थाओं और सिक्योरिटी एजेंसियों को थर्ड पार्टी हैकिंग और डेटा सर्विस उपलब्ध कराती है. लीक हुए दस्तावेज से पता चला है कि 95.2 जीबी इमिग्रेशन डेटा इंडिया से और दक्षिण कोरिया के एलजी यू प्लस टेलीकॉम ऑपरेटर का 3 टेराबाइट कॉल लॉग डेटा हैकर्स के पास है. ताइवान का 459 जीबी रोड मैपिंग डेटा भी चुराया गया है. यह सैन्य ऑपरेशंस में काम आ सकता है.
अन्य देशों के कॉन्ट्रैक्ट आसानी से किए हासिल
आईसून ने 2022 में नाटो को भी निशाना बनाया था. साथ ही ब्रिटेन सरकार के ऑफिस भी इसके शिकार हुए थे. साथ ही पकिस्तान और कंबोडिया पर भी इन्हीं हैकर्स ने हमला किया था. चीन ने दो दशक पहले आईसून जैसी कंपनियों को बढ़ावा देना शुरू किया था. इस डेटा की मदद से वहां की कंपनियां और सरकार अन्य देशों के ठेके उठाने में सफल हुए हैं.
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