बीजिंग (Beijing)। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) और चीनी सेना (chinese army) अब एक नए तरह के जैविक हथियार विकसित (weapon developed) कर रही हैं। इन हथियारों से पूरी दुनिया पर बड़ा खतरा पैदा होने का अनुमान है। रिपोर्ट् की मानें तो चीनी सेना ने अब कुछ न्यूरोस्ट्राइक वेपन्स (neurostrike weapons) यानी सीधे दिमाग पर हमला करने वाले हथियार तैयार कर लिए हैं। इनसे स्तनधारियों के दिमाग पर न सिर्फ हमला किया जा सकेगा, बल्कि उनके दिमाग को नियंत्रित भी किया जा सकता है।
न्यूरोस्ट्राइक वेपन्स अपने नाम की तरह ही सीधे इंसान के न्यूरो यानी तंत्रिका पर हमला करने वाले हथियार हैं। यह ऐसे हथियार हैं, जिन्हें खासतौर पर युद्ध लड़ने वाले सैनिकों या जरूरत के हिसाब से आम लोगों के दिमाग पर हमला करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह सीधी तरह किसी वस्तु द्वारा हमला न होकर एक ऊर्जा का हमला होता है। ऐसे हथियार माइक्रोवेव या ऊर्जा के जरिए दिमाग को नियंत्रित करने में भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस तरह के हथियार चीन की कूटनीतिक तैयारियों का अहम हिस्सा हैं। इसमें कहा गया है कि जब कोरोनावायरस महामारी के दौरान पूरी दुनिया में लॉकडाउन लगा था और सैन्य गतिविधियां काफी कम हो गई थीं, ठीक उसी दौरान चीन ने अपने इन हथियारों से दुनिा का ध्यान हटाने के लिए दक्षिण चीन सागर, पूर्वी चीन सागर, ताइवान जलडमरूमध्य और भारत से लगी सीमा पर हलचल बढ़ाई थी।
कहा गया है कि इस दौरान चीन की सेना एक पूरी जनसंख्या को इन हथियारों के जरिए नियंत्रित करने के प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया था। इस दौरान लोगों के दिमाग को माइक्रोवेव्स या ऊर्जा के झटके के जरिए नुकसान पहुंचाने वाले हथियारों की भी एक शृंखला तैयार की गई। हालांकि, यह साफ नहीं है कि चीन ने अब तक इन हथियारों की टेस्टिंग की है या नहीं।
मौजूदा दौर में अमेरिका की ताकत कम होने के बावजूद चीन से काफी ज्यादा है। ऐसे में ताइवान या दक्षिण चीन सागर में किसी तरह का कदम उठाना चीन के लिए काफी मुश्किल है। खासकर पारंपरिक युद्ध की स्थिति में चीन को खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे में इन हथियारों को खास तौर पर युद्धक्षेत्र में बड़े हमलों के लिए तैयार किया गया है।
अगर इन हथियारों का इस्तेमाल होता है तो चीन न सिर्फ ताइवान पर कब्जा करने में कामयाब हो सकता है, बल्कि उसे बचाने की कोशिश करने वाले अमेरिका के कूटनीतिक विकल्पों को भी कमजोर कर सकता है। इतना ही नहीं इस पूरे क्षेत्र में चीन इन हथियारों के जरिए दूसरे देशों के लिए बड़ी मुश्किलें पैदा कर सकता है।
गौरतलब है कि अमेरिका के वाणिज्य मंत्रालय ने दिसंबर 2021 में चीन की एकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंसेज और इससे जुड़े 11 संस्थानों-लोगों पर प्रतिबंध लगा दिए थे। मंत्रालय का कहना था कि यह संस्थान जैव-तकनीकी प्रक्रियाओं का इस्तेमाल कर रहे थे, ताकि दिमाग को नियंत्रित करने वाले हथियार तैयार किए जा सकें। कुछ अन्य रिपोर्ट्स में भी चीन की इस बढ़ती क्षमता की ओर इशारा किया जा चुका है।
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