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चीन के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका पर आंतरिक मामलों में दखल देने का लगाया आरोप

December 29, 2020

The flag of the People’s Republic of China flies in the wind above the Consulate General of the People’s Republic of China in San Francisco, California on July 23, 2020. – The US Justice Department announced July 23, 2020 the indictments of four Chinese researchers it said lied about their ties to the People’s Liberation Army, with one escaping arrest by taking refuge in the country’s San Francisco consulate. (Photo by Philip Pacheco / AFP) (Photo by PHILIP PACHECO/AFP via Getty Images)

नई दिल्ली। दुनिया के चंद खूबसूरत और शांति प्रिय इलाकों में शामिल है तिब्बत। लेकिन चीन की विस्तारवादी नीति और जमीन हड़पने की साजिशों के जाल में फंसा तिब्बत सालों से आज़ादी के लिए छटपटा रहा है। तिब्बत के साथ भारत के मजबूत रिश्तों की वजह से चीन आज तक सीधे तौर पर कुछ नहीं कर सका। लेकिन अब अमेरिका के एक फैसले ने तिब्बत को लेकर चीन की सारी हेकड़ी निकाल दी है। अपनी पारी खत्म करने से पहले ट्रंप ने चीन को एक जोर का झटका धीरे से दिया है। तिब्बत को लेकर अमेरिका के इस फैसले ने चीन को तिलमिलाने पर मजबूर कर दिया है।

अमेरिका ने चीन को बड़ा झटका देते हुए तिब्बत में धार्मिक-आजादी से जुड़ा एक नया कानून पारित किया है। अमेरिकी संसद में सोमवार रात तिब्बत पॉलिसी एंड सपोर्ट एक्ट पारित किया। ये एक्ट तिब्बत को अपने आध्यात्मिक नेता दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने की आजादी देता है। इस कानून को पारित करने को लेकर तिब्बत के राजनीतिक प्रमुख ने अमेरिका के फैसले का स्वागत किया है।

तिब्बत के हित में पारित अमेरिका के इस कानून ने तिब्बत की आज़ादी की उम्मीदों को पंख दे दिया है। साथ ही तिब्बत के साथ भारत की दोस्ती को भी और मजबूत किया है।

-अमेरिका का ये बिल तिब्बत में धार्मिक आजादी के साथ साथ लोकतंत्र को मजबूत करता है

-इस कानून में दलाई-लामा समर्थित लोकतांत्रिक सरकार को पूरी तरह से मंजूरी दी गई है

-इसके अलावा पर्यावरण सरंक्षण और सांस्कृतिक विरासत को बचाने का समर्थन करता है

-नए अमेरिकी कानून में तिब्बत में मानवधिकारों पर भी जोर दिया गया है

-इसके अलावा तिब्बत की राजधानी ल्हासा में अमेरिकी काउंसलेट खोलने की बात भी की गई है

-साथ ही तिब्बत से जुड़े मुद्दों पर चीनी सरकार को बातचीत करने के लिए कहा गया है

-अगर चीन ऐसा नहीं करता तो उस पर पाबंदियां भी लगाई जा सकती हैं

अमेरिका के इस कदम से चीन बौखला गया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका पर आंतरिक मामलों में दखल देने का आरोप लगाया है। अमेरिका के इस फैसले के बाद चीन ने तिब्बत को ताईवान और हांगकांग की कतार में खड़ा कर साफ कर दिया कि तिब्बत को लेकर उसकी मंशा क्या है। अमेरिका के ताजा कानून पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा है कि ‘तिब्बत, ताईवान और हांगकांग चीन की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता से जुड़ा है। ये चीन के अंदरूनी मामले हैं। इसमें विदेशी दखल बर्दाश्त नहीं है। हम आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप और कानून से नकारात्मक धाराओं पर हस्ताक्षर करने से रोकने की अपील करते हैं। अगर अमेरिका ऐसा नहीं करता तो ये फैसला द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचाएगा।’

चीन हमेशा से ही पूरे तिब्बत को अपना इलाका मानता आया है और इसी वजह से 21 अक्टूबर, 1950 को चीन ने तिब्बत पर हमला कर दिया था। इस दौरान हजारों लोगों की हत्या की गई थी। चीन के अत्याचारों के चलते दलाई लामा 1959 में चीनी शासन के खिलाफ एक असफल विद्रोह के बाद भारत में आ गए। लेकिन अब दुनिया बदल चुकी है। कोरोना और विस्तारवाद की चीनी चालों को दुनिया समझने लगी है। चीन की साजिशों के खिलाफ ये लामबंदी जल्द ही ड्रैगन की चालों को पाताल में दफ्न कर देगी।

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