नई दिल्ली: चीन (China) के प्रभुत्व को कम करने के लिए भारत (India) अब दूसरे देशों के साथ मिलकर सप्लाई चेन को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है. इसी कड़ी में भारत ने महत्वपूर्ण खनिजों (Critical Minerals) की आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत और सुरक्षित करने को अमेरिका (America) संग मिलकर काम कर रहा है. दोनों देश अन्य देशों को भी इस काम में साथ ले रहे हैं और इस कदम को भविष्य में एक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के लिए प्रारंभिक बिंदु के रूप में विकसित करने में जुटे हुए हैं. भारत और अमेरिका ने इस संबंध में एक समझौता ज्ञापन यानी एमओयू पर भी हस्ताक्षर किए हैं. अमेरिका और भारत के बीच यह नई साझेदारी महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित करने में अहम भूमिका निभा सकती है, जिससे दोनों देशों को वैश्विक बाजार में चीन की बढ़त का मुकाबला करने में मदद मिलेगी.
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में बताया, “हमने एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसे खनन मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा. इसका उद्देश्य हमारी आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित करना है. मैंने सुझाव दिया है कि इस MoU को एक ‘क्रिटिकल मिनरल पार्टनरशिप एग्रीमेंट’ में बदला जाए, जिससे यह भविष्य में एक एफटीए के लिए आधार बने.”
रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में अमेरिकी सरकार किसी भी देश के साथ व्यापार समझौते को आगे नहीं बढ़ा रही है. लेकिन भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान मिलकर खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित करने के लिए प्रयास कर रहे हैं. क्योंकि चीन अधिकांश खदानों और उत्पादन सुविधाओं पर नियंत्रण रखता है. जापान और अमेरिका ने पहले ही एक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत गैर-अमेरिकी कंपनियों को ड्यूटी लाभ सहित अन्य सुविधाएं मिलेंगी. भारत और अमेरिका के बीच आने वाले महीनों में इस दिशा में कोई बड़ा फैसला होने की संभावना नहीं है, क्योंकि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव तीन सप्ताह में होने वाले हैं.
गोयल ने अपने हालिया अमेरिकी दौरे में वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई के साथ हुई चर्चाओं को लेकर आशावादी रुख जताया. उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने अधिकांश व्यापारिक मुद्दों को हल कर लिया है. इसके अलावा, फार्मा, डिजिटल तकनीक, दूरसंचार और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सह-विकास और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को लेकर भी दोनों देशों के बीच बातचीत सकारात्मक रही है.
गोयल ने यह भी बताया कि अमेरिकी सेमीकंडक्टर कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके अलावा, न्यूयॉर्क और सिलिकॉन वैली में निवेश केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है ताकि अमेरिकी निवेशकों के साथ व्यापारिक संबंधों को और अधिक मजबूत किया जा सके.
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