नई दिल्ली: भारत में चल रही जी20 समिट अब अपने समापन की ओर है. रविवार को समिट के दूसरे दिन दुनियाभर से आए नेता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर राजघाट भी गए. लेकिन इस बार के जी20 में कुछ ऐसी बातें हुई जिसने भारत की कूटनीति का लोहा मनवाया. वहीं कुछ फैसले ऐसे हुए जिसने चीन की हेकड़ी कम करने का काम किया है.
भारत की जी20 की अध्यक्षता में सबसे बड़ी बात ये हुई कि ‘लीडर्स जॉइंट स्टेटमेंट’ को पहले दिन ही मंजूरी मिल गई. इतना ही नहीं ‘नई दिल्ली घोषणापत्र’ सर्वसम्मति से पारित हुआ. यानी कि ना तो पश्चिम की दुनिया नाराज, ना पूर्व के देशों के साथ कोई तकरार. इसके अलावा साथ में हुई द्विपक्षीय वार्ताओं में कुछ फैसले ऐसे हुए जिसने चीन को उसकी औकात भी दिखा दी.
चीन की हेकड़ी निकालने वाले 4 बड़े फैसले
- भारत से पश्चिमी एशिया होते हुए यूरोप तक एक ट्रेड कॉरिडोर बनाने के प्रोजेक्ट पर सहमति बनी है. ये भारत के प्राचीन ‘मसाला रूट’ को जीवंत करने वाला प्रोजेक्ट है. इसे चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) का जवाब माना जा रहा है. इस तरह भारत को व्यापार के मामले में चीन से आगे बढ़ने का मौका मिलेगा.
- भारत और अमेरिका के बीच 6जी टेक्नोलॉजी को डेवलव करने पर सहमति बनी है. इसके लिए जो अलायंस और एमओयू तैया हुआ है, वह सिर्फ टेक्नोलॉजी को डेवलप करने पर नहीं, बल्कि उसकी सप्लाई चेन विकसित करने पर भी फोकस करेगा. ये चीन के कनेक्टिविटी डिवाइस सेक्टर में बाहुबल को कम करेगा. अभी 5जी के मामले में चीन का दुनिया के बाजार में दबदबा है.
- भारत और अमेरिका ने आपस में मिलकर 8300 करोड़ रुपये का एक ‘रीन्यूएबल इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट फंड’ बनाने पर सहमति जताई है. इस फंड का काम बैटरी स्टोरेज और ग्रीन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना है. भारत बहुत तेजी से अपने आप को ई-मोबिलिटी पर ट्रांसफर करना चाहता है. लेकिन बैटरी, लीथियम इत्यादि के मामले में चीन का दबदबा है. इस पहल से भारत को चीन को पीछे छोड़ने में मदद मिलेगी.
- रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर एक तरफ चीन और रूस का होना, दूसरी तरफ पश्चिम के देशों का होना. ऐसे में जी20 में नई दिल्ली घोषणा पत्र पर सर्वसम्मति बनना भी चीन को नीचे दिखाने वाला ही एक कदम है. भारत ने किसी भी देश को नाराज किए बिना ही जॉइंट स्टेटमेंट पर सहमति बना ली, जो जी20 की 200 से ज्यादा मीटिंग्स में नहीं बन पाई थी.