गलवान में पीछे हटी सेनाएं
बीजिंग। चीन ने गुरुवार को कहा कि चीनी और भारतीय सैनिकों ने गलवान घाटी और पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अन्य इलाकों से पीछे हटने के लिए ‘प्रभावी कदम’ उठाए हैं और अब हालात ‘स्थिर और बेहतर’ हो रहे हैं। चीन के मुताबिक दोनों पक्षों में गतिरोध वाले सारे क्षेत्रों से तेजी से सैनिकों को हटाने पर सहमति बनी है। हालांकि चीन की सरकारी मीडिया लगातार आक्रामक रुख अपनाए हुए है और भारतीय सेना को लगातार समझौते न तोड़ने और एलएसी से दूर रहने जैसी नसीहत दे रही है।
एक तरफ चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने बताया है कि चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले हॉट स्प्रिंग्स से सभी अस्थायी ढांचों को हटा दिया है और सारे सैनिकों को हटाने की कार्रवाई पूरी कर ली है। उधर चीन के सरकारी अखबार चाइना डेली ने लिखा है कि भारतीय सेना को गलवान में हुए समझौतों का सम्मान करना चाहिए नहीं तो इसके अंजाम बुरे हो सकते हैं। झाओ ने कहा, ‘कमांडर स्तर की बातचीत में बनी सहमति पर अमल करते हुए चीन और भारत सीमा सैनिकों ने गलवान घाटी तथा अन्य इलाकों में अग्रिम रेखा पर पीछे हटने के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं। सीमा पर हालात स्थिर हैं और बेहतर हो रहे हैं। जानकार इसे चीन की दोहरी रणनीति की तरफ मानते हैं क्योंकि ज्यादातर मामलों में चीन के आधिकरिक प्रवक्ता नरम रुख अपनाए रहते हैं जबकि सरकारी मीडिया लगातार धमकियों और चेतावनी की भाषा इस्तेमाल करती है। इस रणनीति के जरिए चीन अपनी मंशा भी जता कर देता है और शांति की बातें भी करता रहता है।
#Opinion: While it is easy to fan nationalist fever for political gains during a border dispute, politicians in #India must also realize how it may cause damage to its own national interests.
— China Daily (@ChinaDaily) July 9, 2020
चाइना डेली के संपादकीय में भारतीय सेना को ही गलवान में सैनिकों के बीच हुए हिंसक संघर्ष के लिए जिम्मेदार बताया गया है। इसमें सलाह दी गई है कि भारतीय सेना एलएसी पर हुए समझौतों पर कायम रहेगी तो इस तरह की घटनाओं के फिर से होने की आशंका काफी कम है। चीन भले ही भारतीय सेना को आक्रामक बता रहा हो लेकिन अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र भी उससे एशिया में पड़ोसियों के प्रति आक्रामक रणनीति न अपनाने की सलाह दे चुके हैं। अमेरिका ने तो साफ़ कहा है कि किसी भी संघर्ष की स्थिति में उसकी सेना भारत का साथ देगी। इस लेख में आगे कहा गया है कि दोनों देशों को अमेरिका की रणनीतियों को समझना होगा क्योंकि वह एशिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को साथ काम करते नहीं देखना चाहता।
#FMsays Chinese and Indian border troops have been disengaged thanks to commander-level meetings, Foreign Ministry spokesman Zhao Lijian said, adding that the overall situation at the border area remains stable and is moving towards relaxation. #India pic.twitter.com/4HjpDrRiPg
— China Daily (@ChinaDaily) July 9, 2020
दोनों देशों के बीच आगे बातचीत के बारे में पूछे जाने पर झाओ लिजिआन ने कहा कि दोनों पक्ष चीन-भारत सीमा मामलों पर ‘परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र’ (डब्ल्यू एम सी सी) की बैठकों सहित सैन्य और राजनयिक माध्यम से बातचीत जारी रखेंगे। प्रवक्ता ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि भारत ठोस कार्रवाई के लिए हमारे साथ मिल कर काम करेगा और हमारे बीच बनी सहमति को अमल में लाएगा साथ ही सीमा से पीछे हटने के लिए मिल कर काम करेगा। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच रविवार को टेलीफोन पर करीब दो घंटे हुई बातचीत के बाद दोनों ओर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया सोमवार को सुबह शुरू हुई है। वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने टकराव वाले सभी बिंदुओं से सैन्यबलों की तेजी से वापसी पर सहमति जताई, ताकि क्षेत्र में शांति कायम की जा सके. डोभाल और वांग सीमा संबंधी वार्ताओं के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं। नई दिल्ली में घटनाक्रम से अवगत लोगों ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास टकराव वाले बिंदुओं से बलों की वापसी की प्रक्रिया के क्रियान्वयन की पुष्टि हो जाने के बाद दोनों सेनाओं के अगले कुछ दिन में क्षेत्र में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए आवश्यक तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के मकसद से विस्तृत वार्ता करने की उम्मीद है। पैंगोंग सो के फिंगर इलाकों से बलों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई। पैंगोग सो में दोनों पक्षों के बीच गतिरोध रहा है।
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