नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच 12 अक्टूबर को होने वाली सातवें दौर की सैन्य वार्ता के सिलसिले में शुक्रवार को भारत के चाइना स्टडी ग्रुप की बैठक हुई। छठे दौर की वार्ता में चीन से एक रोड मैप मांगा गया था लेकिन अभी तक चीन की तरफ से इस बारे में कोई जवाब नहीं मिला है। अगली बैठक में भी मास्को में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के साथ हुई बैठक में तय किये पांच सूत्री बिन्दुओं पर फोकस करने पर चर्चा हुई।
बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सीडीएस जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने हिस्सा लिया। बैठक में पूर्वी लद्दाख और अत्यधिक ऊंचाई वाले अन्य संवेदनशील सेक्टरों में हालात के सभी पहलुओं की समीक्षा की गई। साथ ही सर्दियों में भी सभी अग्रिम इलाकों में बलों और हथियारों का मौजूदा स्तर बनाए रखने के लिए आवश्यक प्रबंधों पर भी विचार-विमर्श किया गया। हालांकि चीन के साथ अब तक हुईं सैन्य वार्ताओं के बावजूद जमीनी हालात जस के तस हैं, फिर भी 12 अक्टूबर को आने वाली कोर कमांडर स्तर की वार्ता के लिए निर्देश दिए गए।
चीन के साथ 21 सितम्बर को चली 14 घंटे की मैराथन बैठक के बाद भी जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं दिखने पर अब फिर से भारत और चीन के बीच 7वें दौर की सैन्य वार्ता 12 अक्टूबर को होगी। पिछली बैठक में भारत ने मुख्य रूप से मास्को में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के साथ हुई बैठक में तय किये पांच सूत्री बिन्दुओं पर फोकस किया था। छठे दौर की वार्ता में इस पर चीन से एक रोड मैप मांगा गया था लेकिन अभी तक चीन की तरफ से इस बारे में कोई सहमति नहीं बन पाई है। इसी बैठक में भारत ने चीन से साफ तौर पर कहा था कि पीएलए को सीमा पर कोई आक्रामक कार्रवाई नहीं करनी चाहिए अन्यथा भारतीय सैनिक खुद की रक्षा के लिए गोली भी चला सकते हैं।
बैठक में इस बात पर भी चर्चा की गई कि कोर कमांडर स्तर की अगली वार्ता में भारत को किन मुख्य बिंदुओं को उठाना है। इस वार्ता में भी 10 सितम्बर को मॉस्को में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच हुए समझौते के क्रियान्वयन पर ध्यान केंद्रित किए जाने की संभावना है। बैठक में टकराव के सभी बिंदुओं से चीनी बलों को तुरंत एवं पूरी तरह पीछे हटाने पर जोर देने की सम्भावना है, जो सीमा पर शांति स्थापित रखने की दिशा में पहला कदम है। एजेंसी
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