वाशिंगटन । अमेरिका की एक संसदीय रिपोर्ट में चीन के विस्तारवादी रवैये को उजागर किया गया है। इसमें कहा गया है कि बीजिंग दूसरे देशों की संप्रभुता का उल्लंघन कर रहा है। वह भारतीय जमीन हड़पने के लिए खूनी संघर्ष कर रहा है। रिपोर्ट में इन हरकतों की निंदा किए जाने के साथ ही ड्रैगन के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की सिफारिश भी की गई है।
अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा के चाइना टास्क फोर्स ने यह रिपोर्ट सार्वजनिक की है। रिपोर्ट कहती है कि चाइना कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) ने हांगकांग की नागरिक आजादी को खत्म कर दिया है। वह उइगर मुस्लिमों और तिब्बतियों समेत दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों का लगातार दमन कर रही है। सीसीपी न सिर्फ समुद्री क्षेत्रों में दूसरे देशों की संप्रभुता का उल्लंघन कर रही है बल्कि भारत की जमीन पर कब्जा करने के लिए घातक संघर्ष भी कर रही है।
बतादें कि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में बीते करीब पांच महीने से तनातनी चल रही है। चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तेजी से सैन्य और आर्थिक प्रभाव बढ़ा रहा है। उसकी इन हरकतों से क्षेत्रीय देशों की चिंता बढ़ गई है। वह लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर पर अपना दावा करता है। उसने क्षेत्र में कई द्वीपों पर सैन्य अड्डे भी बना दिए हैं। रिपोर्ट में अमेरिकी विदेश विभाग के गत जुलाई में आए उस बयान की भी सराहना की गई है, जिसमें दक्षिण चीन सागर में बीजिंग के सभी दावों को अवैध करार दिया गया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका को अपने सहयोगियों और साझीदारों के लिए हथियारों की बिक्री में सुधार करना चाहिए।
संसदीय रिपोर्ट में ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के उस प्रस्ताव का भी समर्थन किया गया है, जिसमें उन्होंने भारत समेत प्रमुख लोकतांत्रिक देशों को लेकर एक नया डी-10 ग्रुप बनाने की पहल की है। इसके जरिये 5जी मोबाइल कम्यूनिकेशन और अहम सप्लाई चेन की चुनौतियों से निपटा जा सकता है।
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