नई दिल्ली (New Dehli)। चीन का शेयर बाजार (China Stock Market) पिछले कुछ समय से भारी दबाव (heavy pressure)का सामना कर रहा है, जिससे घरेलू (domestic)से लेकर विदेशी निवेशकों (foreign investors) की नींद उड़ी हुई है. आलम ये है कि भारी संख्या में विदेशी निवेशक चीन का स्टॉक मार्केट छोड़कर भाग रहे हैं और भारत के शेयर बाजार (Indian Stock Market) में निवेश कर रहे हैं. रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 4 ट्रिलियन डॉलर के शेयर बाजार में विदेशी निवेशक तेजी से जा रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, निवेशकों को चीन के विकल्प के तौर पर भारतीय Share Market दिख रहा है, जिसकी अर्थव्यवस्था मौजूदा समय में दुनिया में सबसे तेजी से ग्रोथ करने वाली Economy है. विदेशी निवेशकों को उम्मीद है कि नरेंद्र मोदी तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बन सकते हैं. दूसरी ओर, चीन में अनिश्चिताओं के कारण बड़ी गिरावट से भी निवेशक चीनी बाजार छोड़ रहे हैं।
2023 में 20 अरब डॉलर का निवेश
भारतीय शेयर बाजार में पिछले एक साल में रिकॉर्ड विदेशी निवेश हुआ है. इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि NSE Nifty 50 इंडेक्स ने पिछले एक साल में 23.74% या 4,200 अंकों से ज्यादा का उछाल दर्ज किया है. भारत के राष्ट्रीय डिपॉजिटरी डेटा के अनुसार, पिछले 10 महीनों में एक तिहाई की बढ़ोतरी हुई है. 2023 में 20 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश हुआ है।
विदेशी निवेशकों को क्यों ऑकर्षित कर रहा भारतीय बाजार?
ग्लोबल इन्वेस्टर्स गिर रही चीनी बाजार का विकल्प तलाश रहे हैं, जिसका प्रबल दावेदार भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) दिखता है.
ग्लोबल इन्वेस्टर्स को उम्मीद है कि राष्ट्रीय चुनाव में तीसरी बार जीत कर सत्ता में आएंगे.
भारतीय शेयर बाजार ने शॉर्ट टर्म से लेकर लॉन्ग टर्म में रिकॉर्ड तोड़ रिटर्न दिया है.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि हालिया रैली और आगामी चुनाव के बावजूद भारत का शेयर बाजार दीर्घकालिक निवेशकों के लिए अच्छा होगा.
गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि निफ्टी इंडेक्स वर्तमान में 22,000 के आसपास है, जो 2024 के अंत तक 23,500 तक पहुंच जाएगा.
रिटेल निवेशक हर दिन बड़ी संख्या में शेयर बाजार में जुड़ रहे हैं और एवरेज 2 अरब डॉलर प्रतिमाह घरेलू संस्थागत निवेशकों द्वारा खरीदारी हो रही है.
IMF का अनुमान है कि भारत की GDP 2024 में 6.7 फीसदी के रफ्तार से बढ़ेगी, जबकि चीन के GDP ग्रोथ अनुमान 4.6% है
दुनिया के महंगे बाजारों में से एक भारत
भारतीय शेयर बाजार दुनिया के सबसे महंगे शेयर बाजारों में से एक बन चुका है. एलएसईजी डेटा के मुताबिक, 12 महीने का प्राइस टू अर्निंग रेशियो (Price to Earning Ratio) निफ्टी 50 के लिए 22.8 है, जो चीन का तीन गुना है. यह US, S&P 500 के 20.23 मूल्यांकन से भी ज्यादा ह।
भारतीय शेयर बाजार में बढ़ा घरेलू निवेश
विदेशी निवेशकों के साथ-साथ घरेलू निवेशकों का भी निवेश तेजी से बढ़ा है. घरेलू संस्थागत ने साल 2023 में 22 अरब डॉलर से ज्यादा प्रवाह प्राप्त किया है. इतने बड़े निवेश के साथ ही भारतीय स्टॉक का घरेलू स्वामित्व अब 35.6% है, जबकि विदेशी निवेशक 16 फीसदी हैं. बाकी की हिस्सेदारी प्रमोटर्स के पास हैं।
चीनी शेयर बाजार में कोहराम
चीन के शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखी जा रही है. महज 3 साल में चीन के मार्केट कैपिटलाइजेशन से 7 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है. चीन का सीएसआई 1000 इंडेक्स सोमवार को कुछ ही घंटों में 8 प्रतिशत से अधिक गिर गया. सूचकांक लगभग 400 अंक या 8.68 प्रतिशत गिरकर 4,177.94 के निचले स्तर पर पहुंच गया, जबकि सीएसआई 100 जैसे लार्जकैप सूचकांक 1.03 प्रतिशत बढ़कर 3,042.52 पर था. जनवरी में अब तक CSI1000 इंडेक्स 27 फीसदी गिर चुका है. पिछले एक साल में इसमें 38 फीसदी की गिरावट आई है।
क्यों गिर रहा चीन का स्टॉक मार्केट?
दरअसल, फरवरी 2021 में नई ऊंचाई पर पहुंचने के बाद से चीन के शेयर मार्केट में लगातार गिरावट आ रही है. 2024 की बेहद खराब शुरुआत ने तो हालात को और नाजुक बना दिया है. शेयर बाजार में गिरावट का रियल एस्टेट जिम्मेदार माना जा रहा है. चीन के रियल एस्टेट सेक्टर में गंभीर संकट और देश की अर्थव्यवस्था के कमजोर परफॉर्मेंश ने शेयर बाजार पर और दबाब बढ़ा दिया है।
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