नई दिल्ली । चीन (China)ने नए साल की शुरुआत धमकी(Threatening the beginning) से करने का फैसला किया है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग (President Xi Jinping)ने नव वर्ष पर दिए गए अपने संदेश(Message) में कहा कि चीन के साथ ताइवान के दोबारा एकीकरण को कोई कभी नहीं रोक सकता। उन्होंने अर्थव्यवस्था में जारी मंदी को लेकर देश में बढ़ती चिंताओं और अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बीच यह बात कही। खास बात है कि बीजिंग और ताइपे के राजनीतिक रुख अलग हैं। एक ओर जहां चीन वामपंथी देश है। वहीं, ताइवान लोकतांत्रिक है। हाल के समय में ताइवान पर चीन दबाव बनाता नजर आया है। कई मौकों पर चीन के विमान और जहाज ताइवान के पास देखे गए हैं। साथ ही कहा जाता है कि बीजिंग ने ताइपे को दुनिया से अलग-थलग करने की भी जमकर कोशिश की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन ये भी संकेत दे चुका है कि वह ताइवान को अपने नियंत्रण में लाने के लिए बल का प्रयोग करने से भी पीछे नहीं हटेगा।
ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान बीजिंग के खिलाफ दंडात्मक आयात शुल्क और व्यापार उपाय लागू करने की पहले ही धमकी दे चुके हैं। शी ने सरकारी टीवी चैनल पर प्रसारित अपने नए साल-2025 के संबोधन में कहा, ‘ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों किनारों पर रहने वाले हम चीनी एक ही परिवार के हैं। कोई भी हमारे बीच नातेदारी के बंधन को कभी भी खत्म नहीं कर सकता है।’
चीन स्व-शासित द्वीप ताइवान को अपनी मुख्य भूमि का हिस्सा होने का दावा करता है और एक अनिवार्य राजनयिक नीति के रूप में ताइवान को अपने हिस्से के रूप में मान्यता देते हुए ‘एक चीन’ की बात करता है। अपने तीसरे पंचवर्षीय कार्यकाल के तहत शासन कर रहे शी ने हाल के वर्षों में ताइवान को चीन के साथ फिर से मिलाने के प्रयासों को तेज करने के लिए इसे एक प्रमुख सैन्य और राजनयिक पहल बनाया।
विदेश नीति के मोर्चे पर, शी ने वैश्विक शासन सुधार को बढ़ावा देने और विश्व शांति और स्थिरता कायम रखने में योगदान देने के लिए चीन की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा, ‘परिवर्तन और अशांति दोनों की दुनिया में, चीन एक जिम्मेदार प्रमुख देश के रूप में, सक्रिय रूप से वैश्विक शासन सुधार को बढ़ावा दे रहा है और ‘ग्लोबल साउथ’ के बीच एकजुटता और सहयोग को प्रगाढ़ कर रहा है।’
शी के नए साल के संदेश का एक अन्य मुख्य ध्येय चीनी जनता को अर्थव्यवस्था के बारे में आश्वस्त करना था, जो कि कोविड-19 के बाद काफी धीमी हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप आकर्षक रियल एस्टेट क्षेत्र धराशायी हो गया है और देश भर में व्यवसायों के बंद होने के कारण लोगों की नौकरी चली गई है।
शी ने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है और यह प्रगति के पथ पर है। उन्होंने कहा कि 2024 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 130 ट्रिलियन-युआन (लगभग 18.08 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) के आंकड़े को पार करने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अनाज उत्पादन 70 करोड़ टन से अधिक हो गया है।
हालांकि, चीन ई-वाहनों के अपने निर्यात को बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहा है, क्योंकि अमेरिका और यूरोपीय संघ ने उससे आयात पर भारी शुल्क लगा दिया है। शी के लिए मुख्य चुनौती ट्रंप की वापसी से है। चीन के खिलाफ सख्त नीतियां अपनाने की धमकी देने वाले ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका का राष्ट्रपति पद दोबारा संभालेंगे।
अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप ने 2018-19 में चीनी आयात पर 380 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का आयात शुल्क लगाकर चीन के खिलाफ व्यापार युद्ध शुरू कर दिया और कहा कि अमेरिका को चीन धोखा दे रहा है। उनके उत्तराधिकारी जो बाइडन ने भी आयात शुल्क को जारी रखा, जिससे चीन के मुनाफे पर असर पड़ा है।
अपने चुनाव अभियान के दौरान भी ट्रंप ने चीनी आयात पर 60 प्रतिशत से अधिक शुल्क लगाने की धमकी दी, जो पिछले साल 427.2 अरब अमेरिकी डॉलर था। चीनी तकनीक कंपनियों पर पाबंदी लगाने सहित ट्रंप द्वारा अपनाई गई कई नीतियों को लेकर चीन-अमेरिका संबंध तनावपूर्ण हो गए। उन्होंने कोविड-19 महामारी के लिए भी चीन को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि यह वायरस वुहान की एक बायो-लैब से निकला है।
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