नई दिल्ली। सीमा विवाद (border dispute) को लेकर भारत और चीन (India and China) के बीच 17 जुलाई को 16वें दौर की वार्ता हुई। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह वार्ता चुशुल मोल्दो में भारत की तरफ हुई। इसमें एलएसी पर पश्चिमी सेक्टर में तनाव (Tension in western sector on LAC) को कम करने और शांति बहाल (restore peace) करने को लेकर चर्चा हुई। दोनों ही देशों की तरफ से शामिल प्रतिनिधियों ने खुलकर अपने विचार रखे। साझा बयान के मुताबिक दोनों ही देशों ने इस बात पर जोर दिया कि बातचीत के जरिए जल्द ही विवाद का हल निकाला जाना चाहिए जिससे कि सीमा पर शांति बनी रहे और संबंधों को आगे बढ़ाया जा सके। दोनों ही देशों ने कहा कि वे एलएसी पर शांति और द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
बयान के मुताबिक दोनों ही पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई की वेस्टर्न सेक्टर में सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखना है। इसके अलावा सैन्य और डिप्लोमैटिक चैनल्स से बातचीत के जरिए ऐसा समाधान जल्द से जल्द निकालना है जिसपर दोंनों ही देश सहमत हों। बता दें कि हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत एलएसी पर एकतरफा कार्रवाई और यथास्थिति में परिवर्तन नहीं होने देगा। अगर चीन कोई भी हरकत करेगा तो इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
बता दें कि यह वार्ता लगभग 12 घंटे तक चली। रविवार सुबह लगभग 9:30 बजे वार्ता शुरू हो गई थी। इसमें भारत की तरफ से लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता शामिल हुए थे जबकि चीन की तरफ से मेजर जनरल यांग लिन ने वार्ता का नेतृत्व किया। इससे पहले दोनों देशों में 11 मार्च को आधिकारिक वार्ता हुई थी हालांकि इसमें विवाद को सुलझाने को लेकर कोई सफलता नहीं मिली थी।
बता दें कि कूटनीतिक वार्ता के बाद दोनों ही देशों ने पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी की थी। 5 मई 2020 को पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील इलाके में दोनों देशों के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई थी। इसके बाद पहले से चला आ रहा विवाद गहरा गया था। दोनों ही देशों ने इस इलाके में 50 हजार से ज्यादा सैनिक तैनात कर दिए थे।
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