बीजिंग (Beijing) । चीन (China) में अगले सप्ताह बेल्ट ऐंड रोड फोरम (Belt and Road Forum) का आयोजन होना है, जिसमें 120 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा लेने वाले हैं। यही नहीं इसमें उसने अफगानिस्तान (afghanistan) की सत्ता चला रहे तालिबान (Taliban) को भी बुलाया है। यह पहला मौका होगा, जब 2021 में सत्ता पाने के बाद वह किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर जगह पा जाएगा। एक आतंकी संगठन रहे तालिबान को इस तरह वैश्विक मंच पर जगह देने की चीन की क्या मंशा है, इस पर भी सवाल उठ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि चीन चाहता है कि वह अफगानिस्तान को अपने करीब लाने के लिए पहले ही तालिबान से रिश्ते अच्छे कर ले ताकि भारत की पकड़ पड़ोस में कमजोर हो सके।
पूरे मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि द्विपक्षीय वार्ताओं के लिए तालिबान सरकार के मंत्री और अधिकारी पहले भी दूसरे देशों की यात्रा कर चुके हैं। लेकिन यह पहला मौका होगा, जब हाईप्रोफाइल वैश्विक मंच पर तालिबान दिखेगा। इसके लिए उसे आधिकारिक तौर पर न्योता दिया गया है और वह दुनिया के 120 देशों के साथ मंच साझा करेगा। इस तरह तालिबान को पहली बार वैश्विक राजनीति की मुख्य धारा से जुड़ने के मौका मिलेगा। चीन ही ऐसा पहला देश है, जिसने सबसे आगे बढ़कर तालिबान को मान्यता दी थी। इसके अलावा कभी दूतावास भी वहां बंद नहीं किया।
मंगलवार और बुधवार को होने वाली इस समिट में अफगानिस्तान के वाणिज्य मंत्री हाजी नूरुद्दीन अजीजी मौजूद रहेंगे। चीन की तालिबान को इस तरह प्रमोट करने की एक वजह अफगानिस्तान में छिपा खनिज का खजाना भी है। कहा जाता है कि अफगानिस्तान में कॉपर, गोल्ड और लिथियम का करीब 3 खरब डॉलर का खजाना छिपा है। चीन की सरकार इन पर नियंत्रण चाहती है और इसके लिए तालिबान से बातचीत कर रही है। चीन मंगललार से बेल्ट ऐंड रोड प्रोजेक्ट के 10 साल पूरे होने का जश्न मनाने जा रहा है।
बेल्ट ऐंड रोड प्रोजेक्ट के पूरे हो रहे 10 साल, आगे क्या प्लान
इस अभियान की शुरुआत 2013 से की गई थी। इसी का हिस्सा चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर भी है। अब चीन का प्लान यह है कि इस कॉरिडोर का विस्तार अफगानिस्तान तक कर दिया जाए। बता दें कि चीन के इस प्रोजेक्ट का भारत विरोधी रहा है। इसकी वजह यह है कि चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा गिलगित बाल्टिस्तान से होकर गुजरता है, जिसे भारत अपने हिस्से के तौर पर देखता है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved