ताइपे। ताइवान के नैशलन डे पर भी चीनी ड्रैगन धमकाने से बाज नहीं आया। चीन ने शुक्रवार शाम को नैशनल डे की पूर्व संध्या पर अपने लड़ाकू विमान ताइवान की सीमा के पास भेजे। ताइवन की सेना ने भी करारा जवाब देते हुए उन्हें तत्काल भगा दिया। चीन ने इस साल अब तक 2,972 बार से ज्यादा अपने फाइटर जेट ताइवान की सीमा के पास भेजे हैं। चीन के युद्धक विमानों को भगाने पर ही ताइवान को करीब 90 करोड़ डॉलर खर्च करना पड़ा है।
ताइवान के उपराष्ट्रपति लाइ चिंग टे ने ट्वीट करके बताया कि चीन ने हमारे ताइवान नैशनल डे की पूर्व संध्या पर एक बार फिर से हमें भड़काने के लिए अपने युद्धक विमान भेजे। लेकिन यह हमारे जश्न को नहीं रोक सकेगा। यह हमें क्षेत्र में शांति और स्थिरता की रक्षा करने से रोक नहीं सकेगा। इससे पहले ताइवान के रक्षा मंत्री ने कहा था कि चीन के लगातार लड़ाकू विमानों के भेजने से हमारी सेना पर दबाव काफी बढ़ गया है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि उनके देश को गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है। उधर, विशेषज्ञों का कहना है कि चीन ताइवान की सेना को थकाने के लिए लगातार अपने फाइटर जेट को ताइवान स्ट्रेट के पास भेज रहा है। चीन इन दिनों अमेरिका और ताइवान के बीच बढ़ते सहयोग से चिढ़ा हुआ है। चीन के इसी संकट को देखते हुए ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन ने प्रण किया है कि वह देश की सुरक्षा को मजबूत करेंगी और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए काम करेंगी।
इससे पहले चीनी सेना ने अमेरिका के विदेश उप मंत्री किथ क्राच के आने पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी और ताइवान जलडमरुमध्य के ऊपर 18 लड़ाकू विमानों को भेजा था और असमान्य तरीके से इतने बड़े पैमाने पर शक्ति प्रदर्शन किया था। ताइवान के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चीन ने दो बमवर्षक विमान सहित 19 लड़ाकू विमानों को भेजा था।
चीनी सेना के हमले के मंडराते खतरे के बीच अमेरिका अब ताइवान को अभेद्य ‘किला’ बनाने में जुट गया है। अमेरिका ताइवान को 7 बेहद घातक हथियार दे रहा है जिसमें क्रूज मिसाइल और ड्रोन विमान शामिल हैं। यही नहीं अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने चीन पर अपना दबाव और ज्यादा बढ़ा दिया है। इससे पहले अमेरिका ने यह नीति बनाई थी कि वह ताइवान को ऐसे हथियार नहीं देगा जिससे चीन नाराज हो जाए। हालांकि हॉन्ग कॉन्ग संकट के बाद अब अमेरिका ने अपनी नीति को बदल दिया है।
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