मोजियांग। दक्षिण चीन में घने जंगलों से घिरी घाटियों में खदानों की सुरंग है, जिसमें चमगादड़ों का जमावड़ा होता था, जिन्हें अबतक ज्ञात जानकारी के मुताबिक कोविड-19 का सबसे करीबी स्रोत माना जाता है। इस इलाके को लेकर बहुत रुचि है क्योंकि यहां पर कोरोना वायरस के स्रोत के संकेत मिल सकते हैं। जिसने दुनिया भर में 17 लाख से अधिक लोगों की जान ले ली है लेकिन यह राजनीतिक संवेदनशीलता की वजह से सूचना के लिए ‘ब्लैक होल’ बन गया है।
चमगादड़ों पर अनुंसधान करने वाली टीम हाल में यहां पहुंची थी लेकिन उनकी ओर से एकत्र किए गए नमूनों को जब्त कर लिया गया है। यह जानकारी मामले की जानकारी रखने वाले दो लोगों ने दी है। नवंबर के आखिर में एसोसिएटेड प्रेस के पत्रकारों को सादे कपड़ों में पुलिस ने कई कारों से पीछा किया और इलाके में जाने से रोक दिया।
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस से इंसानों के संक्रमित होने की पहली घटना आने के एक साल पूरा होने को है, लेकिन एसोसिएटेड प्रेस (एपी) की जांच दिखाती है कि चीन की सरकार इस वायरस के स्रोत से जुड़े सभी अनुसंधानों पर कड़ाई से नियंत्रण कर रही है और उन अनुषांगी सिद्धांतों को प्रोत्साहित कर रही है जिसमें वायरस की उत्पत्ति कहीं बाहर होने की बात कही गई है।
एपी को मिले गोपनीय दस्तावेजों के मुताबिक सरकार वैज्ञानिकों के अनुंसधान की निगरानी कर रही है और यह अनिवार्य कर रही है कि अनुंसधान पत्रों को प्रकाशित करने से पहले राष्ट्रपति शी चिनफिंग के अधीन कार्यरत कैबिनेट की ओर से प्रबंधित नए कार्यबल से पहले उन्हें अनुमोदित कराया जाए।
सरकार के भीतर से दस्तावेजों के लीक होने की दुलर्भ घटना के तहत दर्जनों अप्रकाशित दस्तावेज सामने आए जो लंबे समय से जताई जा रहीं आशंकाओं की कथित तौर पर पुष्टि करते हैं कि यह कठोर नीति शीर्ष से लागू की जा रही है। एपी की जांच चीनी और विदेशी वैज्ञानिकों व अधिकारियों के साक्षात्कार के अलावा, सार्वजनिक नोटिस, लीक हुए ई-मेल, चीन की राज्य परिषद और चीन के रोग नियंत्रण और उन्मूलन केंद्र (सीडीसी) के अप्रकाशित दस्तावेजों पर आधारित है।
इससे खुलासा होता है कि महामारी की अवधि में सरकार की गोपनीयता और शीर्ष से नियंत्रण की परिपाटी रही। पहचान गोपनीय रखते हुए सीडीसी में कार्यरत एक विशेषज्ञ ने बताया, ‘‘वे कुछ लोगों को ही चुनते हैं जिनपर वे भरोसा कर सकते हैं, जिन्हें वे नियंत्रित कर सकें।’’ चीन के विदेश मंत्रालय ने फैक्स के जरिये कहा, ‘‘नोवेल कोरोना वायरस दुनिया के कई हिस्से में मिले हैं और वैश्विक आधार पर अनुसंधान किया जाना चाहिए।’’
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