पेइचिंग। भारत के साथ बातचीत की आड़ में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हजारों की तादाद में सैनिक और मिसाइलों की तैनात करने वाले चीन ने कहा है कि वह लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने को मान्यता नहीं देता है। चीन के विदेश मंत्रालय के वांग वेनबिन ने कहा कि भारत ने लद्दाख की स्थापना अवैध तरीके से की है। चीनी प्रवक्ता ने यह भी कहा कि हम विवादित इलाके में भारत के सैन्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आधारभूत ढांचे के निर्माण का भी विरोध करते हैं।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हाल ही में दोनों देशों के बीच हुई सहमति के मुताबिक दोनों में से कोई भी पक्ष सीमा क्षेत्र में ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे जिससे स्थिति बिगड़ जाए। इसलिए दोनों देशों के बीच माहौल को सुधारने के लिए किए जा रहे प्रयासों को प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए। बता दें कि भारत ने पिछले साल 31 अक्टूबर को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया था। इसके बाद से चीन भड़का हुआ है और माना जा रहा है कि इसी का बदला लेने के लिए उसने पूर्वी लद्दाख में भारतीय इलाकों पर कब्जा करने की कोशिश की है।
भारत और चीन के बीच बीते 5 महीनों से तनातनी जारी है। गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प के बाद से ही सीमा पर माहौल तनावपूर्ण हैं। इस बीच चीन को अपनी ताकत का अहसास कराने के लिए भारत ने सीमा पर अपनी सबसे शक्तिशाली मिसाइल को तैनात किया है। निर्भय नाम की यह मिसाइल सतह से सतह पर मार करने में सक्षम है।
निर्भय क्रूज मिसाइल की मारक क्षमता 1000 किमी रेंज तक बताई जा रही है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक निर्भय मिसाइल का निशाना अचूक है। निर्भय को डीआरडीओ ने विकसित किया है और यह पूरी तरह से भारत में बनी स्वदेशी मिसाइल है। निर्भय की यह पहली तैनाती है। पिछले सात सालों से यह टेस्टिंग की प्रक्रिया में थी। यह किसी भी मौसम में दुश्मन के ठिकाने को तबाह करने की क्षमता रखती है। सूत्रों के मुताबिक, तिब्बत तक मार करने की क्षमता निर्भय में है।
सशस्त्र बलों की क्षमता पर यकीन करने की है जरूरत: जयशंकर
पूर्वी लद्दाख में सीमा पर चीन के साथ गतिरोध के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि हमें अपने हितों की रक्षा करने में अपने सशस्त्र बलों पर और उनकी क्षमता पर विश्वास करने की जरूरत है। जयशंकर ने कहा कि चीनियों से बातचीत में सैन्य कमांडरों और कूटनीतिक माध्यमों की क्षमताओं में भी विश्वास रखने की जरूरत है।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘हमें हमारे हितों की रक्षा करने में हमारे सशस्त्र बलों पर और उनकी क्षमता पर विश्वास करना होगा और स्पष्ट रूप से प्रणाली की क्षमता में विश्वास रखना होगा, मेरा मतलब चीन के साथ बातचीत करने में सैन्य कमांडरों और कूटनीतिक माध्यमों, दोनों से है।’ उन्होंने कहा कि किसी नतीजे पर पहुंचने में जल्दबाजी नहीं करें। बता दें कि पूर्वी लद्दाख में तनाव उस वक्त के बाद कई गुना बढ़ गया जब गलवान घाटी में 15 जून को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए। पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों पर भारतीय सैनिकों को चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की तरफ से गीदड़भभकी और उकसावे वाली कम से कम तीन कोशिशें किए जाने के बाद स्थिति और बिगड़ गई।
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