नई दिल्ली: चीन अपनी विस्तारवादी नीति के तहत अपनी थल, वायु और जल सेना की ताकत दिनों दिन बढ़ाता जा रहा है. इसके अलावा नए-नए युद्ध पोत और हथियार भी चीन अपने बेड़े में शामिल कर रहा है. इसी कड़ी में चीन ने शुक्रवार को अपने तीसरे विमानवाहक पोत फुजियान का जलावतरण किया. कोविड-19 की वजह से शंघाई में लगे लंबे लॉकडाउन की वजह से इसके अनावरण में दो महीने की देरी हुई है. पहले के कार्य़क्रम के मुताबिक, 23 अप्रैल को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी की 73वीं वर्षगांठ के मौके पर इसका जलावतरण किया जाना था.
फुजियान रखा गया है इसका नाम
चीन की आधिकारिक मीडिया ने बताया कि शुक्रवार को पूर्वी तटीय प्रांत फुजियान के नाम पर तीसरे विमानवाहक पोत का जलावतरण किया गया. चीन का पहला विमानवाहक पोत लियाओनिंग सोवियत युग के जहाज का एक परिष्कृत रूप है, जिसे 2012 में लॉन्च किया गया था. इसके बाद 2019 में चीन ने दूसरे विमानवाहक पोत ‘शेडोंग’ का उद्घाटन किया था. यह पूरी तरह चीन में निर्मित था.
नौसेना का हो रहा आधुनिकीकरण
चीन के इस नए युद्धपोत को पहला ड्रोन विमान वाहक पोत बताया जा रहा है. जहाज 50 मानव रहित प्रणालियों को ले जा सकता है, जिसमें मानव रहित नाव, ड्रोन और पानी के नीचे चलने वाले वाहन शामिल हैं. चीन अपनी नौसेना का तेजी से आधुनिकीकरण कर रहा है, जिसमें नए विमानवाहक पोतों का निर्माण भी शामिल है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के अलावा सेना के भी प्रमुख हैं. उन्होंने अपने कार्यकाल में सेना में कई व्यापक सुधार किए हैं, जिनमें थल सेना के आकार को कम करना और नौसेना और वायु सेना की भूमिका को बढ़ाने जैसे फैसले हैं.
वैश्विक विस्तार की नीति पर चीन
वहीं, चीन वैश्विक विस्तार के मद्देनजर अफ्रीका में हॉर्न के जिबूती में सैन्य ठिकाने स्थापित कर रहा है. चीन ने श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह को 99 साल के पट्टे पर भी लिया है और अरब सागर में पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का विस्तार और आधुनिकीकरण किया है.
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