बीजिंग । ‘चीन (China) में तख्तापलट हुआ है, राष्ट्रपति शी जिनपिंग (President Xi Jinping) को नजरबंद किया गया है और उन्हें पीपुल लिबरेशन आर्मी (PLA) के पद से हटा दिया गया है…,’ यह अफवाहें शनिवार को इंटरनेट पर छाई रहीं. हजारों लोग न केवल इस बारे में पढ़ रहे थे, बल्कि प्रतिक्रिया भी दे रहे थे. इतना ही नहीं, ट्विटर पर भी #ChineCoup ट्रैंड कर रहा था. कई असत्यापित लोग दावा कर रहे थे कि चीन में सेना (army) ने तख्तापलट कर दिया है. इस तख्तापलट की कथित रूप से योजना तब बनाई गई, जब शी जिनपिंग एससीओ समिट के लिए समरकंद में थे.
बताया जा रहा है कि यह अफवाह तब उड़ी जब चीन के पूर्व उप-सुरक्षा अधिकारी सुन लिजुन को भ्रष्टाचार के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई. हालांकि, इस सजा को टाल दिया गया. जैसे ही इन खबरों ने सोशल मीडिया पर जोर पकड़ा, वैसे ही लोग यह भी पता लगाने लगे कि इन खबरों में आखिर कितनी सच्चाई है. इस खबर की पुष्टि न तो अंतरराष्ट्रीय मीडिया कर रहा था और न ही चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की तरफ से कोई बयान जारी हुआ था. इनके अलावा चीन के बारे में जानने वालों और विशेषज्ञों ने इन खबरों को सिरे से नकार दिया. उनका कहना था कि इस बारे में कोई सबूत नहीं है कि चीन में तख्तापलट हुआ है और राष्ट्रपित शी जिनपिंग को नजरबंद किया गया है.
This video of military vehicles moving to #Beijing comes immediately after the grounding of 59% of the flights in the country and the jailings of senior officials. There’s a lot of smoke, which means there is a fire somewhere inside the #CCP. #China is unstable. https://t.co/hSUS3210GR
— Gordon G. Chang (@GordonGChang) September 24, 2022
आखिर अफवाह उड़ी कैसे?
सवाल यह है कि आखिर यह अफवाहें उड़ीं कैसे? दरअसल, शनिवार को जब लोगों ने सोशल मीडिया देखा तो वे चौंक गए. कई असत्यापित लोगों ने सोशल मीडिया पर यह बात शेयर करनी शुरू कर दी कि चीन में तख्तापलट हो गया है. इस हफ्ते की शुरुआत में राष्ट्रपति शी जिनपिंग को नजरबंद कर दिया गया है. ‘न्यू हाईलैंड विजन’ नाम के ट्विटर अकाउंट ने 22 सितंबर को लिखा कि चीन के पूर्व राष्ट्रपति हू जिनताओ और वे जियाबाओ ने पोलितब्यूरो स्टैंडिंग कमिटी के पूर्व सदस्य सॉन्ग पिंग को जिनपिंग के हाथ से सेंट्रल गार्ड ब्यूरो का नियंत्रण देने के लिए मना लिया था.
कहा जा रहा है कि जब जिनपिंग को इस बात का पता चला तो वह 16 सितंबर को समरकंद से वापस आ गए. उसके बाद उन्हें बीजिंग एयरपोर्ट से ही उठा लिया गया और नजरबंद कर दिया गया. हालांकि, ट्विटर अकाउंट पर यह भी दावा किया गया कि इस खबर की पुष्टि नहीं हुई है. इस अफवाह को और तूल देने के लिए कई लोगों ने वीडियो शेयर किया. वीडियो में मिलिट्री का एक बड़ा समूह बीजिंग की तरफ मार्च कर रहा था. बताया जा रहा था कि यह मार्च 80 किमी लंबा था.
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