नई दिल्ली: भारत के लिए विस्तारवादी चीन एक बार फिर सिर दर्द बन रहा है. पड़ोसी देश भूटान के साथ वह अपने रिश्ते सुधारने की कोशिश में है, जो जियोपॉलिटिकली भारत के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है. जहां एक तरफ चीन भूटान के साथ अपने विवादों को सुलझाने की कोशिश में है, वहीं वह भारतीय क्षेत्र में गांव बसा रहा है. भूटान भारत के लिए काफी मायने रखता है. भूटान का सोशियो-इकोनॉमिक डेवलपमेंट और टेरिटोरियल इंटीग्रिटी भारतीय विदेश नीति का एक अहम हिस्सा है.
भारत भूटान के बीच दशकों से बेहतर संबंध रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में इसमें थोड़ी गिरावट भी देखी गई है. मसलन शांति और दोस्ती, फ्री ट्रेड सहित अन्य जरूरी मुद्दों को लेकर इंडो-भूटान के बीच 1949 में समझौते हुए थे. बाद में 1968 तक दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत हुए. भूटान भारत के साथ न सिर्फ करीब 700 किलोमीटर का बॉर्डर साझा करता है, बल्की वह भारत के नायबरहुड पॉलिसी और एक्ट ईस्ट पॉलिसी के लिए बेहद जरूरी है.
सीमा विवाद पर चीन-भूटान में बातचीत
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 2021 में चीन ने भूटान के साथ एक एमओयू हस्ताक्षर किया था, जब चीन ने कहा था कि वह भूटान के साथ विवादों को खत्म करना चाहता है. इसके लिए चीन ने एक रोडमैप तैयार किया था, जिसमें सीमा विवाद पर नेगोशियेशंस शामिल थे. पिछले महीने ही चीन और भूटान के बीच आधिकारिक बातचीत हुई, जिसमें खासतौर पर सीमा विवाद पर फोकस किया गया था. दोनों पक्ष ने बातचीत को पॉजिटिव बताया था. कथित रूप से उन्होंने मामले के जल्द निपटारे पर भी सहमति जाहिर की थी.
विस्तारवादी चीन भूटान के कुछ हिस्से को भी अपना बताता रहा है. बताया जा रहा है कि इस मुद्दे पर बातचीत आगे नहीं बढ़ी है. चीन भूटान स्थित साकटेंग वाइल्डलाइफ सेंचुरी पर दावा करता है. हैरानी की बात ये है कि यहां चीन सीमा भी साझा नहीं करता. इसका मतलब है कि चीन भूटान के उन क्षेत्रों को भी अपना बताता है जो सीमा से काफी भीतर है.
चीनी मीडिया ने कहा- भारत चिंतित
साउथ चाइना पोस्ट में एक रिपोर्ट छपी है, जिसमें कहा गया है कि चीन-भूटान के बीच बातचीत भारत के लिए सिर दर्द बन सकता है. हाल ही में भारत के विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा भूटान गए थे, जिसे लेकर चीनी मीडिया ने कहा कि यह भारत की मुश्किलों को दर्शाता है. विदेश सचिव ने भूटान के राजा जिग्मे खेसर नाग्येल वांगचुक और प्रधानमंत्री लोटे शिरिंग से मुलाकात की थी. साउथ चाइना पोस्ट ने कहा कि इससे साबित होता है कि भारत चीन-भूटान की बातचीत से चिंतित है.
भूटान के लिए भारत सबकुछ
भूटान के लिए भारत एक अहम स्ट्रेटेजिक पार्टनर है. इतना ही नहीं भारत पड़ोसी भूटान का इकोनॉमिक, डेवलपमेंट, इन्फ्रास्ट्रक्चर, एजुकेशन, हेल्थ और सिक्योरिटी के मोर्चे पर भी मददगार है. भूटान एक लैंडलॉक्ड देश माना जाता है, जिसके पास व्यापारिक रूट नहीं है. ऐसे में भूटान के लिए भारत और भी अहम हो जाता है, जहां भूटान को ट्रांजिट रूट की इजाजत मिलती है. डोकलाम में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच स्टैंडऑफ के बाद भूटान के साथ बेहतर संबंध रखना और भी जरूरी हो गया है. अब अगर चीन यहां अपने मनसूबे में कामयाब होता है, तो यह भारत के लिए बड़ी मुश्किलें पैदा कर सकता है.
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