इस्लामाबाद (Islamabad)। पाकिस्तान (Pakistan) में अपने नागरिकों पर हमलों को लेकर चीन की चिंताएं कम नहीं हो रही हैं। पाकिस्तान (Pakistan) की जांच एजेंसियों (Investigative agencies) ने मार्च में चीनी नागरिकों (Chinese citizens) पर हुए आतंकवादी हमले (Terrorist attacks) की जांच पूरी कर ली है। पाकिस्तान ने रेकॉर्ड समय में जांच पूरी होने के लिए पीठ ठोकी है लेकिन चीनी अधिकारी इससे संतुष्ट नहीं है। चीन की ओर से पाकिस्तान की सेना और सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है कि वह बलूचिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठनों के खिलाफ जर्ब-ए-अज्ब जैसा विशेष मिलिट्री ऑपरेशन चलाए। पाकिस्तान इस समय सैन्य ऑपरेशन चलाने की हालत में नहीं है। ऐसे में सवाल है कि ऐसे में पाक आर्मी चीफ असीम मुनीर क्या करेंगे।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल 26 मार्च को इस्लामाबाद से खैबर पख्तूनख्वा के कोहिस्तान में दासू जलविद्युत परियोजना में काम करने जा रहे चीनी नागरिकों के एक काफिले पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादियों ने हमला किया गया था। पाकिस्तान सरकार ने हमले की जांच करने और चीन की चिंताओं को दूर करने के लिए तुरंत पुलिस और खुफिया एजेंसियों की एक संयुक्त जांच टीम का गठन किया, जिसने अपनी जांच पूरी कर ली है। चीन अभी भी अपने नागरिकों की सुरक्षा पर फिक्रमंद है।
चीन की मांग पर पाकिस्तान ने पहले भी चलाए हैं ऑपरेशन
चीन की बड़े पैमाने पर आतंकवाद विरोधी अभियान की मांग सीपीईसी और दूसरी परियोजनाओं पर काम कर रहे अपने नागरिकों की सुरक्षा चिंताओं को दिखाती है। पाकिस्तान का चीन के अनुरोध पर इस तरह के आतंकवाद विरोधी अभियान शुरू करने का इतिहास रहा है। 2007 में इस्लामाबाद में लाल मस्जिद ऑपरेशन उस वक्त के चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ की जनरल परवेज मुशर्रफ से मुलाकात के बाद शुरू किया गया था।
चीन और अंतराष्ट्रीय दबाव में ही 2014 में पाकिस्तानी सेना ने उत्तरी वज़ीरिस्तान में ऑपरेशन जर्ब-ए-अजब किया था। इस ऑपरेशन में बड़ी संख्या में हुई मौतों और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों के अलावा काफी पैसा भी खर्च हुआ। जनवरी 2017 में इस्लामाबाद के राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के सुरक्षा विश्लेषक मारिया सैफुद्दीन इफेंडी ने दावा किया था कि जर्ब-ए-अजब ऑपरेशन से पाकिस्तानी सेना को 1.9 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था। चीन फिर से इसी तरह का ऑपरेशन चाहता है लेकिन ये संभव नहीं दिखता है।
पाकिस्तान से लिए चीन की मांग मानना क्यों मुमकिन नहीं
चीन के बड़े पैमाने पर सैन्य ऑपरेशन की मांग मानना चीन के लिए संभव नहीं लगता है। इसकी एक वजह ये है कि टीटीपी और उसके सहयोगी अफगानिस्तान में छिपे हुए हैं। पाकिस्तानी सेना सीमा पार ऑपरेशन करेगी तो फिर क्षेत्र में एक बड़ा संघर्ष शुरू हो जाएगा। इसके अलावा बलूच विद्रोह भी एक जटिल मुद्दा है। बलूचिस्तान में पहले से ही विद्रोहियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ चल रही है। पाकिस्तानी सेना की छोटी सी भी गलती क्षेत्र में गृह युद्ध जैसी स्थिति की वजह बन सकती है।
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