बीजिंग। वैसे तो चीन ने दुनियाभर से हो रही आलोचनाओं को धता बताते हुए दक्षिणी प्रशांत महासागर (south pacific ocean) में सैन्य दबदबा कायम करने के लिए कदम बढ़ा दिया है। चीन ने प्रशांत महासागर (south pacific ocean) के छोटे से द्वीप सोलोमन के साथ विवादास्पद सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किया है। चीन के इस समझौते के बाद से ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अमेरिका (Australia, New Zealand and America) जैसे देशों की नींद उड़ गई है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि चीन इस द्वीप पर अपना मिलिट्री बेस बना सकता है।
चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि दोनों देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है। इससे दो दिन पहले एक अमेरिकी दल सोलोमन द्वीप पहुंचा था ताकि सोलोमन द्वीप की चीन समर्थक सरकार को चेतावनी दी जा सके। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि इस समझौते का उद्देश्य सामाजिक स्थिरता और सोलोमन द्वीप पर लंबे समय तक शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना है।
इस पूरे सुरक्षा समझौता को लेकर सोलोमन द्वीप के प्रधान मंत्री ने कहा है कि यह समझौता हमारे क्षेत्र की शांति और सद्भाव को प्रतिकूल रूप से प्रभावित या कमजोर नहीं करेगा, हालंकि एक्सपर्ट्स इस बात को मानने से इनकार कर रहे हैं। मामले को नजदीक से देख रहे विशेषज्ञों का कहना है कि चीन का यह कदम पूरे क्षेत्र में गेम चेंजर हो सकता है।
वहीं रिपोर्ट्स बताती हैं कि सोलोमन द्वीप को हर वक्त और हर संभव मदद करने वाला ऑस्ट्रेलिया ने चीन के साथ समझौते को रोकने की पूरी कोशिश की थी लेकिन सोलोमन द्वीप ने मना कर दिया। सोलोमन द्वीप ने कहा है कि इस समझौते से क्षेत्र की शांति को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। उन्होंने इस समझौते को देश के हित में लिया गया फैसला बताया है।
परेशान अमेरिका ने 29 साल बाद खोला दूतावास
मामले को लेकर अमेरिका ने कहा है कि यह समझौता इस क्षेत्र को अस्थिर कर सकता है। मामले की गंभीरता को अमेरिका के इस कदम से समझा जा सकता है कि अमेरिका ने 29 सालों के बाद सोलोमन आइलैंड्स में फिर से अपने दूतावास को खोल दिया है। अमेरिका को डर है कि इस कदम के जरिए चीन प्रशांत क्षेत्र में अपनी उपस्थिति और बढ़ा देगा जैसा कि बीजिंग कुछ सालों से करता आ रहा है।
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