डेस्क: अमेरिका में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के चुनाव से पहले उम्मीदवारों से जुड़े डेटा पर चीनी हैकर्स के एक समूह ने कथित तौर पर सेंध लगा दी है. चीनी हैकर्स ग्रुप ने डोनाल्ड ट्रंप, कमला हैरिस और जेडी वेंस के संचार उपकरणों को निशाना बनाया है. बता दें कि अमेरिका के खिलाफ इस हैकिंग की कोशिश करने वाले चीनी साइबर ग्रुप को ‘साल्ट टाइफून’ का नाम दिया गया है. हालांकि, इस ग्रुप ने कितने डेटा की चोरी की है, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है.
सूत्रों के अनुसार, साल्ट टाइफून ने टेलीकम्यूनिकेशन नेटवर्क में घूसपैठ की है और वेरिजोन सहित कई अन्य सर्विस प्रोवाइडर्स के जरूरी डेटा तक पहुंचने की कोशिश की है. बताया गया कि साल्ट टाइफून के निशाने पर डोनाल्ड ट्रंप के कैंपेन के साथ कमला हैरिस और उनके साथी टिम वाल्ज भी हैं. साल्ट टाइफून से अमेरिका को कितना नुकसान हुआ है, इसे जानने के लिए अमेरिकी संघीय एजेंसियां कोशिश में लगी हुई हैं.
माइक्रोसॉफ्ट की साइबर सिक्योरिटी टीम ने चीनी हैकरों के इस ग्रुप को साल्ट टाइफून का नाम दिया है. माइक्रोसॉफ्ट चीनी हैकरों को ‘टाइफून’ कहता है. वहीं, ईरानी हैकर्स को ‘सैंडस्टोर्म’ और रूस के हैकर्स के लिए ‘ब्लिजार्ड’ शब्द का इस्तेमाल करता है. हालांकि चीनी हैकर्स के लिए टाइफून के साथ साल्ट शब्द को जोड़ने का उद्देशय इसे कॉर्पोरेट डेटा चोरी या वित्तीय धोखाधड़ी वाले साइबर अपराध के बजाए काउंटर इंटेलिजेंस को दिखाना है.
रिपोर्ट के अनुसार, साल्ट टाइफून हमलों का उद्देश्य चुनाव के वक्त जरूरी अमेरिकी संपत्तियों और संस्थानों की खुफिया जानकारियां जुटाना है. इसी के मद्देनजर साल्ट टाइफून ने नेताओं और उनके कर्मियों के साथ सरकारी लोगों से जुड़े फोन नंबरों को निशाना बनाया है. वहीं, एफीबीआई और साइबर सिक्योरिटी एंड इंफ्रास्ट्रचर सिक्योरिटी एजेंसी ने इसे खतरा मानते हुए बयान जारी कर कहा है कि साइबर सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए निजी कंपनियों के साथ सहयोगात्मक प्रयास किए जा रहे हैं.
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