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    चीन के जे-35 ने विमानवाहक पोत से भरी उड़ान, क्‍या भारत की सुरक्षा के लिए है खतरा, जाने क्‍या बोले विशेषज्ञ?

  • September 22, 2024

    बीजिंग । चीन (China) के स्टील्थ लड़ाकू विमान J-35 (stealth fighter aircraft J-35) ने कथित तौर पर विमानवाहक पोत CNS लियाओनिंग पर परीक्षण संचालन (trial operation) शुरू कर दिया है। चीन के सरकारी मीडिया ने 18 सितम्बर को विमानवाहक पोत लियाओनिंग से जे-35 के सफल लैडिंग और टेकऑफ की घोषणा की। ये पहली बार है जब चीन ने सार्वजनिक रूप से जे-35 के विमानवाहक पोत से संचालित होने के बारे में जानकारी दी है। रक्षा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इसकी संभावित तैनाती भारत की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करेगी।

    चीन को मिली बड़ी सफलता
    चाइना सेंट्रल टेलीविजन (CCTV) ने सीएनएस लियाओनिंग पर प्रमुख परीक्षणों के बारे में जानकारी दी थी। हालांकि वीडियो में J-35 को उड़ान भरते या उतरते नहीं दिखाया गया था। जे-35 फाइटर जेट के विमानवाहक वैरिएंट को FC-31 के नाम से भी जाना जाता है। यह चीन के नौसेना की हवाई क्षमता को आधुनिक बनाने के लिए एडवांस पांचवीं पीढ़ी के विमानों की तरफ बढ़ने के प्रयास को दिखाता है।

    जे-35 के विमान वाहक आधारित संस्करण के बारे में कई सालों से चर्चा चल रही थी। जुलाई में 2022 में जे-35 वाहक प्रोटोटाइप की पहली तस्वीरें ऑनलाइन दिखाई दीं। फरवरी 2023 में एक वीडियो जारी किया गया था, जिसमें एक युवा नौसेना पायलट को एक नए वाहक आधारित जेट में उड़ान भरने की तैयारी करते हुए दिखा गया था।


    चीन के जे-15 की लेगा जगह
    विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्टील्थ फाइटर मौजूदा J-15 की जगह लेगा जो चीन का एकमात्र ऑपरेशनल विमानवाहक आधारित लड़ाकू विमान है। यह एक भारी वजन वाला फाइटर है, जो इसकी मिशन क्षमताओं को सीमित करता है। जे-15 की तुलना में जे-35 की तुलना में 22,000 पाउंड हल्का है। हालांकि, अमेरिकी नौसेना के लड़ाकू विमानों से यह भारी है।

    भारत के लिए खतरा?
    चीन जैसे-जैसे अपने अगली पीढ़ी के विमानवाहक फाइटर जे-35 के साथ आगे बढ़ रहा है, नई दिल्ली के रक्षा हलकों में चिंता उभर रही है। भारतीय रक्षा विशेषज्ञ और वायु सेना के पूर्व अधिकारी विजयेंद्र के ठाकुर इसे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गुप्त खतरा बताते हैं। यूरेशियन टाइम्स ने ठाकुर के हवाले से बताया है कि जे-35 का लिओनिंग से लॉन्च होना इसकी क्षमता को दिखाता है।

    उन्होंने समझाया कि लिओनिंग में कैटापुल्ट की सुविधा नहीं है। इसका मतलब है कि जे-35 अथवा एफसी-31 टेक ऑफ के लिए स्की जंप का उपयोग करेगा। यह इस बात का सबूत है कि इसमें पावर टू वेट का अच्छा अनुपात है। यह उसी तरह है जैसा मिग-29K और राफेल-M में है। अगर चीन पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर को विमानवाहक पोत पर तैनात करता है तो यह आने वाले वर्षों में अपनी नौसैना की हवाई क्षमताओं को काफी मजबूत करेगा।

    पाकिस्तान भी खरीद रहा FC-31
    भारत को स्टील्थ विमानों का खतरा सिर्फ चीन से ही नहीं है। इस साल की शुरुआत में पाकिस्तान वायु सेना के चीफ ऑफ स्टाफ, एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर ने चीनी पांचवीं पीढ़ी के FC-31 स्टील्थ लड़ाकू विमान की खरीद की घोषणा की है। भारत के दो प्रमुख प्रतिद्वंद्वी स्टील्थ विमानों से लैस हो रहे हैं, वहीं भारत में इसकी पहल सुस्त गति से आगे बढ़ रही है। भारत 26 राफेल मरीन (राफेल-एम) खरीदने के लिए फ्रांस से बातचीत कर रहा है। लेकिन इन जेट की डिलीवरी में वर्षों लगेंगे, क्योंकि फ्रांस और भारत के बीच अनुबंध को अभी अंतिम रूप दिया जाना है।

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