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    चीन मुद्दे पर सरकार ने दिया लिखित जवाब, कांग्रेस ने घेरा

  • September 16, 2020

    नई दिल्ली। संसद में मानसून सत्र के तीसरे दिन चीन-भारत सीमा पर पिछले 6 महीने में किसी प्रकार के घुसपैठ की घटना होने को लेकर भाजपा सांसद डॉ. अनिल अग्रवाल के सवाल उठाने पर केंद्र सरकार ने लिखित में जवाब दिया। इसमें बताया गया कि इस दौरान सीमा पर किसी प्रकार की घुसपैठ की घटना नहीं हुई। सरकार के इस जवाब पर कांग्रेस ने उसे निशाने पर लिया है।

    लद्दाख में चीनी सैनिकों के हमले और घुसपैठ को लेकर लगातार सीमा पर द्विपक्षीय वार्ता का दौर जारी है। ऐसे में राज्यसभा में अतारांकित प्रश्न पर गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने सरकार की तरफ से लिखित जवाब में कहा कि पिछले छह महीनों के दौरान भारत-चीन सीमा पर घुसपैठ की कोई सूचना नहीं है। सरकार के इस जवाब पर कांग्रेस नेताओं ने पलटवार करते हुए कहा कि एक तरफ रक्षामंत्री जी कहते हैं कि चीन ने भारत की भूमि पर अतिक्रमण किया है जबकि संसद में सरकार लिखित जवाब में अलग बात करती है। आखिर सरकार किसी भी विषय पर स्पष्ट बयान क्यों नहीं देती।

    इस दौरान कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया कि बीते दिन संसद में दिए गए राजनाथ सिंह के बयान का क्या अर्थ निकाला जाए। दरअसल रक्षामंत्री ने चीन से सीमा विवाद की स्थिति समझाते हुए यह माना था कि चीन ने लद्दाख में भारत की लगभग 38 हजार वर्ग किमी भूमि पर अनधिकृत कब्जा किया है। उन्होंने सदन को यह भी बताया कि 1963 में तथाकथित सीमा-समझौते के तहत पाकिस्तान ने पीओके की 5180 वर्ग किमी भारतीय भूमि को अवैध रूप से चीन को सौंप दी है। ऐसे में अब लिखित जवाब में सरकार का यह कहना कि उसके पास चीनी अतिक्रमण की कोई सूचना नहीं है, दुखद है।

    भारत-पाकिस्तान सीमा पर घुसपैठ को लेकर गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि पाकिस्तान की तरफ से फरवरी में जीरो, मार्च में चार, अप्रैल में 24, मई में आठ, जून में शून्य और जुलाई में 11 बार घुसपैठ की कोशिश हुई।

    भारतीयों की जासूसी के मामले में चर्चा के लिए कांग्रेस सांसदों ने दिया स्थगन प्रस्ताव

    इससे पहले भारत में बड़े राजनीतिक एवं सामरिक क्षेत्र में बड़े पदों पर बैठे लोगों की जासूसी चीन द्वारा कराए जाने के मामले को लेकर एक बार फिर विपक्ष ने सरकार को घेरा है। संसद के दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा में कांग्रेस नेताओं ने इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव भी दिया है।

    लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने ‘राजनीतिक नेताओं और प्रमुख अधिकारियों पर चीनी निगरानी’ के मुद्दे पर लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा कि क्या मोदी सरकार को इस गंभीर मामले का पहले पता था या भारत सरकार को पता ही नहीं चला कि हमारी मुखबिरी हो रही है? उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार को पड़ोसी देश चीन को अपनी हरकतों से बाज़ आने का स्पष्ट संदेश देना चाहिए।

    कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने राज्यसभा में कहा कि एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शेन्जेन स्थित टेक कंपनी जो चीनी सरकार से जुड़ी हुई है, वह 10000 भारतीयों को ट्रैक कर रही है। मैं सरकार से जानना चाहता हूं कि क्या उसने इस पर ध्यान दिया है। अगर हां, तो क्या कार्रवाई की गई? उन्होंने सवाल किया कि आखिर क्या वजह है कि देश के सामरिक हितों की रक्षा करने में केंद्र बार-बार विफल हो रहा है?

    उल्लेखनीय है कि एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि चीन भारत के बड़े राजनीति और सामिरक क्षेत्र में बड़े पदों पर बैठे लोगों की जासूसी करा रहा है। इस जासूसी लिस्ट में प्रधानमंत्री मोदी समेत पांच प्रधानमंत्रियों, पूर्व और वर्तमान के 40 मुख्यमंत्रियों, 350 सांसद, कानून निर्माता, विधायक, मेयर, सरपंच और सेना से जुड़े समेत करीब 1350 लोगों के नाम शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार के इशारे पर चीनी कंपनी शेनझेन इंफोटेक और झेन्हुआ इंफोटेक जासूसी कर रहीं हैं। इन कंपनियों का मुख्य काम ही दूसरे देशों पर नजर रखना है। (एजेंसी, हि.स.)

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