नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में सैन्य तैनाती के बाद से चीन और भारत (India-China) के बीच में पिछले 2 साल से गंभीर टकराव चल रहा है. इसी बीच चीन की ओर से भारत के बिजली डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम को पंगु बनाने के लिए 2 बार साइबर अटैक (Chinese Cyber Attack on Indian Power Grid) की बात सामने आई है. जिसे भारत की ओर से विफल कर दिया गया है.
साइबर हैकिंग पर चीन का रिएक्शन
इस मुद्दे पर चोरी और सीनाजोरी वाली रवैये का प्रदर्शन करते हुए चीन (China) ने साइबर हैकिंग के आरोप से इनकार किया है. ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा है कि साइबर घटनाओं की जांच में पूरे सबूत होने चाहिए. इस प्रकार बिना जांच के किसी भी दूसरे देश के साथ संबंध नहीं जोड़ना चाहिए.
‘ड्रैगन के प्रयास नहीं हो पाए सफल’
वहीं भारत सरकार ने इस घटना की पुष्टि की है. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि चीनी (China) हैकर्स की ओर से लद्दाख के पास बिजली वितरण केंद्रों को निशाना बनाने के लिए 2 बार प्रयास किए गए लेकिन वे सफल नहीं हुए. उन्होंने कहा है कि ऐसे साइबर हमलों का मुकाबला करने के लिए भारत ने अपने सिस्टम को और मजबूत कर लिया है.
भारत के सिस्टम की टोह ले रहा चीन?
सूत्रों के मुताबिक रेडइको नाम के हैकिंग ग्रुप का नाम इस साइबर अटैक में सामने आया है. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यह ग्रुप अप्रत्यक्ष तरीके से चीन (China) सरकार से जुड़ा है. पावर ग्रिड पर साइबर अटैक करके ये ग्रुप आर्थिक और पारंपरिक खुफिया जानकारी जुटाते हैं, जिससे भविष्य में जंग होने पर वास्तव में साइबर अटैक कर उस देश के बिजली डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम को पंगु किया जा सके.
लॉजिस्टिक कंपनी पर भी किया अटैक
बिजली सेक्टर के अलावा, चीनी हैकरों ने भारत के नेशनल इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम और एक मल्टीनेशनल लॉजिस्टिक कंपनी की सहायक इकाई को भी निशाना बनाया है. हैकिंग को अंजाम देने वाले ग्रुप का नाम TAG-38 है. इस ग्रुप ने अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए ShadowPad नाम का एक खतरनाक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है. बता दें कि इस सॉफ्टवेयर के तार पहले चीनी सेना से जुड़ चुके हैं.
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