नई दिल्ली। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच कई बार कमांडर स्तर की बातचीत हो चुकी है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच जारी असंतोष के बीच भारत ने डेपसांग समतल क्षेत्र और दौलत बेग ओल्डी क्षेत्र में चीनी सेना द्वारा निर्माण गतिविधियों का मुद्दा उठाया है। भारत कूटनीतिक और सैन्य स्तरों सहित चीन के साथ कई स्तरों पर बातचीत कर रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके चीनी समकक्ष सहित दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों ने एलएसी पर सैन्य निर्माण के मुद्दे को हल करने के लिए बातचीत की है।
सूत्रों ने एएनआई को बताया, ‘हालिया वार्ता के दौरान, भारत के पक्ष ने चीन से कहा कि एक सैन्य अभ्यास की आड़ में उन्होंने पूर्वी लद्दाख में LAC पर सैनिकों की बड़े पैमाने पर तैनाती के साथ भारी संख्या में युद्ध-सामग्री तैयार किया था। कमर्शियल सैटेलाइट के माध्यम से जिसका पता लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि डेपसांग के मैदानी क्षेत्र और डीओबी सेक्टर में चीनी बिल्डअप और कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी के मुद्दे पर भारत के पक्ष ने आपत्ति जताई है। भारत पक्ष ने चीनी सेना के पेट्रोलिंग प्वाइंट 10 से भारत की सेना की गश्त में रुकावट पैदा करने का भी मुद्दा उठाया। सूत्रों ने कहा कि पेट्रोलिंग प्वाइंट 13 बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य में लिप्त है।
डेपसांग मुद्दे को प्रमुखता से उठाने से पहले भारतीय पक्ष गलवान घाटी (PP-14), PP-15, हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और फिंगर एरिया सहित चार बिंदुओं पर विस्थापन प्रक्रिया पर चर्चा कर रहा थ। कई दौर की चर्चा के बाद दोनों पक्षों में सहमति बनी थी, जिसके बाद चीनी सेना पीछे हट गई थी, जिसके तहत दोनों पक्ष अपनी पुरानी स्थिति में वापस आ गए, ताकि कोई भी नया पेट्रोलिंग जोन न बनाया जा सके। ताकि वे 18 मई की तरह फिंगर एरिया में या किसी भी क्षेत्र में आमने-सामने न हों। 15 जून की गलवान घाटी जैसी हिंसक झड़प दोबारा न हो सके, जिसमें दोनों पक्षों को जान गंवानी पड़े।
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