वॉशिंगटन। संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) और चीन (China) के बीच में जारी तनाव के बीच में विशेषज्ञों ने भविष्य में किसी युद्ध को लेकर अपने विचार रखे हैं। यह चर्चा ऐसे समय पर हो रही है जब यूक्रेन में जारी युद्ध (Ukraine War) में अमेरिका अपनी ताकत लगा रहा है और कई सूत्रों के मुताबिक चीन (China) भी पिछले दरवाजे से रूस की मदद (Russia’s help) कर रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक बाकी मोर्चों पर तो दोनों देश एक जैसे प्रतीत होते हैं लेकिन हाल के दिनों में बीजिंग के सामने पश्चिमी देशों (Western countries) का सबसे बड़ा हथियार ‘ऑनलाइन पोर्न’ बनकर उभरा है।
ऑनलाइन पोर्न को हथियार मानने का यह विकल्प जमीनी स्तर पर बिल्कुल बेतुका लग सकता है लेकिन हाल के दिनों में चल रहे यूक्रेन रूस युद्ध में इस हथियार की मिसाल भी देखने को मिली है। रिपोर्ट के मुताबिक रूस की तरफ से लड़ने आए उत्तर कोरियाई सैनिकों को आश्चर्यजनक रूप से ऑनलाइन पोर्न की लत लग गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर कोरिया में प्रतिबंधित और सीमित इंटरनेट के आदी सैनिकों को रूस में जब फ्री इंटरनेट मिला तो वह पोर्न के आदी हो गए। हालांकि इस रिपोर्ट में कितनी सच्चाई है यह बहस का विषय है लेकिन यह अगर जरा भी सच है तो इससे यह साबित होता है कि प्रतिंबंधित इंटरनेट का उपयोग करने वाले देश के सैनिक अगर व्यापक इंटरनेट के संपर्क में आते हैं तो उन्हें ऑनलाइन पोर्न की लत का सामना कर सकता है।
चीन की महान फायरवॉल
चीन को लेकर चर्चा इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि उत्तर कोरिया की ही तरह चीन भी अपनी ग्रेट फायरवॉल इंटरनेट सेंसरशिप प्रणालियों का यूज करके आम जनता को बाहरी इंटरनेट से बचाए रखता है। चीन इंटरनेट को प्रतिबंधित करके दुनियाभर के राजनीतिक समाचार, सामाजिक प्लेटफार्म और अन्य चीजों के आदान-प्रदान को रोकता है। ऑनलाइन पोर्न को लेकर चीनी अधिकारी लंबे समय से सतर्क रहे हैं। नेशनल ऑफिस अगेंस्ट पोर्नोग्राफिक एंड इल्लीगल पब्लिकेशन्स जैसी एजेंसियों ने पोर्न को चीन में प्रतिबंधित कर रखा है।
चीन में इंटरनेट पर है सख्त प्रतिबंध
चीन में इस प्रकार इंटरनेट पर सख्त प्रतिबंध की जड़ें काफी गहरी हैं। 2018 में बीजिंग में एक लेखक ने कुछ तस्वीरों के साथ अपने उपन्यास को इंटरनेट पर बेचने की कोशिश की थी, जिस पर उसे 10 साल की सजा मिली थी। यहां तक की सरकार ने इंटरनेट के दुरुपयोग को लेकर टिप-ऑफ के लिए इनाम का भी प्रावधान किया है, जिसमें 600,000 युआन (लगभग 86,500 अमेरिकी डॉलर) तक का इनाम शामिल है।
हालांकि चीन द्वारा इस भारी-भरकम प्रतिबंध का उद्देश्य इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री को नियंत्रित करना और सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखना है। लेकिन आम जनमानस के मन में यह किसी चीज को लेकर जिज्ञासा भी पैदा करता है। द टेलीग्राफ में माइकल डेकोन ने इसको लेकर तर्क दिया कि चीन और उत्तर कोरिया या किसी अन्य देश जहां पर सैनिकों में इंटरनेट एक्सपोजर की कमी है। उन्हें अगर एकदम से इंटरनेट मिल जाता है तो उनका ध्यान भटकने की संभावना अधिक होती है।
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